अहिंसा विश्वास का आलेख हैं।
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घूरती आखोँ में हँसी तंज की ठिठोली हैंअमानत थोड़ी हैं जो किसी की हो ली है उनकी रुह में भी, छोड़ आया हूँ खुद कोअभी लब्ज बोले हैं, मोहब्बत कहाँ बोली हैं
मौन हो तो कोई मनमौजी कहेमौन हो तो कोई मनमौनी कहेमौन हो कोई अपने मन की कहेचाहे तो अपना इतिहास लिखे ;मौन हो तो कोई गूंगा ही ,कहेमौन हो तो कोई कायर ही, कहेमौन हो तो कोई हिमालय कहेमौन हो तो कोई प्रोत्साहन सुन