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संग्राम जिन्दगी है

30 जनवरी 2015

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संग्राम जिन्दगी है संग्राम जिन्दगी है, लड़ना उसे पड़ेगा। जो लड़ नहीं सकेगा, आगे नहीं बढ़ेगा॥ इतिहास कुछ नहीं है- संघर्ष की कहानी। राणा, शिवा, भगतसिंह- झाँसी की वीर रानी॥ कोई भी कायरों का, इतिहास क्यों पढ़ेगा? आओ! लड़ें स्वयं से, कलुषों से कल्मषों से। भोगों से वासना से, रोगों के राक्षसों से॥ कुन्दन वही बनेगा, जो आग पर चढ़ेगा॥ घेरा समाज को है, कुण्ठा कुरीतियों ने। व्यसनों ने रूढ़ियों ने, निर्मम अनीतियों ने॥ इनकी चुनौतियों से, है कौन जो भिड़ेगा॥ चिन्तन, चरित्र में अब, विकृति बढ़ी हुई है। चहुँ ओर कौरवों की, सेना, खड़ी हुई है॥ क्या पार्थ इन क्षणों भी, व्यामोह में पड़ेगा॥ मुक्तक- जिन्दगी माना कठिन संग्राम है- पर हमें साहस न खोना चाहिये। हाथ असफलता लगे पहले अगर- तो निराशा में न रोना चाहिये॥ कल खिलेंगे फूल इस उत्साह में- बीज श्रम के आज बोना चाहिये। कुछ नहीं हैं कष्ट या कठिनाइयाँ- स्वयं की पहचान होना चाहिये॥
मनोज कुमार - मण्डल -

मनोज कुमार - मण्डल -

बहुत अच्छी कविता

7 फरवरी 2015

रणबीर सिंह कुशवाह

रणबीर सिंह कुशवाह

उत्तम स्वयं की पहचान तो होनी चाहिये

31 जनवरी 2015

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सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

28 जनवरी 2015
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हाथ, जिन में हो जुनून, कटते नही तलवार से, सर जो उठ जाते हैं वो झुकते नहीं ललकार से. और भड़केगा जो शोलः सा हमारे दिल में है, सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

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महाभारत की तीन घटनाएँ ::

29 जनवरी 2015
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भराञी साथियों,, (जरूर पढें) महाभारत की तीन घटनाएँ :: 1. अभिमन्यु के मृत्यु के बाद जब घटोटक्ष्य कुरुक्षेत्र में आ कर भयंकर युद्ध करने लगा तो सारे कौरव शोर मचाने लगे कि पांडव के पास कोई भी योद्धा नही बचा इसलिए उनलोगो से बाहरी आदमी को इम्पोर्ट किया है। फिर घटोटक्ष्य को कुरुक्षते के बारे में क्या पता?

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हम गुस्से मे चिल्लाते क्यों हैं ?

30 जनवरी 2015
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हम गुस्से मे चिल्लाते क्यों हैं ? एक बार एक संत अपने शिष्यों के साथ बैठे थे। अचानक उन्होंने सभी शिष्यों से एक सवाल पूछा। बताओ जब दो लोग एक दूसरे पर गुस्सा करते हैं तो जोर-जोर से चिल्लाते क्यों हैं? शिष्यों ने कुछ देर सोचा और एक ने उत्तर दिया : हम अपनी शांति खो चुके होते हैं इसलिए चिल्लाने लगते हैं

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संग्राम जिन्दगी है

30 जनवरी 2015
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संग्राम जिन्दगी है संग्राम जिन्दगी है, लड़ना उसे पड़ेगा। जो लड़ नहीं सकेगा, आगे नहीं बढ़ेगा॥ इतिहास कुछ नहीं है- संघर्ष की कहानी। राणा, शिवा, भगतसिंह- झाँसी की वीर रानी॥ कोई भी कायरों का, इतिहास क्यों पढ़ेगा? आओ! लड़ें स्वयं से, कलुषों से कल्मषों से। भोगों से वासना से, रोगों के राक्षसों से॥ कुन्दन वही बन

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