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महाभारत की तीन घटनाएँ ::

29 जनवरी 2015

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भराञी साथियों,, (जरूर पढें) महाभारत की तीन घटनाएँ :: 1. अभिमन्यु के मृत्यु के बाद जब घटोटक्ष्य कुरुक्षेत्र में आ कर भयंकर युद्ध करने लगा तो सारे कौरव शोर मचाने लगे कि पांडव के पास कोई भी योद्धा नही बचा इसलिए उनलोगो से बाहरी आदमी को इम्पोर्ट किया है। फिर घटोटक्ष्य को कुरुक्षते के बारे में क्या पता? वह इस युद्ध में कुछ भी नहीं कर पायेगा। इसका अर्थ है की पांडवो की शक्ति की आंधी समाप्त होगई है। अब उनकी हार पक्की। इस टीवी बहस से धृतराष्ट्र अति प्रसन्य हुए। 2. कुरुक्षत्र में कर्ण अर्जुन से बोला :: आज या तो तुम नहीं या फिर मैं नही। आज के बाद इस संसार में एक महान धनुर्धर कम हो जाये गा। तो क्यों नहीं हम दोनों में धनुर् विद्द्या की प्रतियोगिता हो जाये? संसार को पता तो चले कि कौन सर्वष्ट्रेट धनुर्धर है। अर्जुन ने कहा ::अंगराज यह युद्ध स्थल है, कोई गुरुकुल नहीं। यहां तो बहता रक्त ही इस बात का फैसला करेगा । चाटुकार बुद्धजीवी शकुनि और अन्य कौरव शोर करने लगे कि अर्जुन प्रतियोगता से भाग रहा है । इसका अर्थ है कि युद्ध से पहले अर्जुन ने हार मान लिया। 3. फिर युध्द शुरू हुआ। शिग्रहि कर्ण के सारे दिव्य बाण समाप्त होगये। और उसका रथ भी टूट गया। उसने युद्ध के नियम का उलन्घन कर पसुप्तार्थ अस्त्र चलने की कोशिश किया परंतु ऐन मौके पर उसको चलने की कला भूल गया । उसने गुहार लगाई कि अर्जुन मेरे सारे बाण समाप्त हो गये है और मेरा रथ भी फ़स गया है। इस लिए अभी युद्ध रोक दो। कृष्ण ने कहा : कर्ण आप बाण तो किसी से भी ले लीजिये। चाहे अर्जुन से ही लेलीजिये । और आप महारथी है। हर महारथी के पास दस रथ होते है । किसी और पर बैठ जाइए । अब कोई भी बहाना नहीं चलेगा। अर्जुन तुम हाथ मत रोको और अभी और यही इस दुष्ट और पापी कर्ण का वध कर दो। कृष्ण की यह बात सुन कर सारे चाटुकार अन्याय है अन्याय है कह कर चिल्लाने लगे। कृष्ण बोले :किधर था तुम्हारा न्याय जब तुमने निह्हते, रथ विहीन अभिमन्यु का घेर कर वध किया था? इस पर सभी बुद्जीवियों ने बहुत शोर किया कि कृष्ण ने असंसदीय भाषा का प्रयोग किया है । इस घटना को मानवाधिकार का हनन बताया। और बोले इसका अर्थ है की अर्जुन और कृष्ण ने हार मान लिया है और साथ ही कर्ण अर्जुन से बड़ा योद्धा है ।
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सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

28 जनवरी 2015
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हाथ, जिन में हो जुनून, कटते नही तलवार से, सर जो उठ जाते हैं वो झुकते नहीं ललकार से. और भड़केगा जो शोलः सा हमारे दिल में है, सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

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महाभारत की तीन घटनाएँ ::

29 जनवरी 2015
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भराञी साथियों,, (जरूर पढें) महाभारत की तीन घटनाएँ :: 1. अभिमन्यु के मृत्यु के बाद जब घटोटक्ष्य कुरुक्षेत्र में आ कर भयंकर युद्ध करने लगा तो सारे कौरव शोर मचाने लगे कि पांडव के पास कोई भी योद्धा नही बचा इसलिए उनलोगो से बाहरी आदमी को इम्पोर्ट किया है। फिर घटोटक्ष्य को कुरुक्षते के बारे में क्या पता?

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हम गुस्से मे चिल्लाते क्यों हैं ?

30 जनवरी 2015
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हम गुस्से मे चिल्लाते क्यों हैं ? एक बार एक संत अपने शिष्यों के साथ बैठे थे। अचानक उन्होंने सभी शिष्यों से एक सवाल पूछा। बताओ जब दो लोग एक दूसरे पर गुस्सा करते हैं तो जोर-जोर से चिल्लाते क्यों हैं? शिष्यों ने कुछ देर सोचा और एक ने उत्तर दिया : हम अपनी शांति खो चुके होते हैं इसलिए चिल्लाने लगते हैं

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संग्राम जिन्दगी है

30 जनवरी 2015
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संग्राम जिन्दगी है संग्राम जिन्दगी है, लड़ना उसे पड़ेगा। जो लड़ नहीं सकेगा, आगे नहीं बढ़ेगा॥ इतिहास कुछ नहीं है- संघर्ष की कहानी। राणा, शिवा, भगतसिंह- झाँसी की वीर रानी॥ कोई भी कायरों का, इतिहास क्यों पढ़ेगा? आओ! लड़ें स्वयं से, कलुषों से कल्मषों से। भोगों से वासना से, रोगों के राक्षसों से॥ कुन्दन वही बन

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