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शून्य से साहित्य तक

SPK Sachin

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मातृभाषा हिंदी और हिंदी साहित्य हमें हमारी संस्कृति और सभ्यता से रूबरू कराता है। हिंदी साहित्य भारतीय संस्कृति का एक अहम हिस्सा है। प्रकृति में प्रत्येक प्राणी-जीवजगत का प्राकट्य शून्य से शुरू होता है, वह अपने संघर्ष और कर्तव्यों से अपनी मंजिल तक का सफ़र तय करता है। मानव जीवन भी इसी प्रकार है - "शून्य से सफ़र तक" का फासला ही जीवन है। जिसने यह समझ लिया, वह जीवन जीने की कला सीख गया। प्रत्येक पहलू का प्रारंभ शून्य से ही होता है। "शून्य से साहित्य तक!" का सफ़र मुश्किल नहीं तो बहुत सरल भी नहीं होता है। 

shunya se sahitya tak

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पुस्तक के भाग

1

♤⛳मातृभाषा हिन्दी हो⛳♤

1 सितम्बर 2022
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'सरल' है,'सुलभ' है, मेरे "हिन्द" की भाषा,कटुता से परे है, हमारी "हिंदी" मातृ-भाषा।सम्पूर्ण है,सब 10 रसों का, संगम है समाया,मिलकर सब ने इसे 49 में, राजभाषा है बनाया।अलंकृत है,सुंदर अलंकारों से, मातृभाष

2

हर बार लड़का दोषी क्यों?"☹

1 सितम्बर 2022
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रक्त उबाल मारता है मेरा,जब निर्दोष लड़के को, दोषी बताया जाता है।वह कहती रही, छेड़खानी करता है, ये रोज,महफिल में बैठ, सब मूक होकर सुनते रहे,गलती किसकी है? जाने बिना,अन्याय होता देखते रहे।गलती इस बार लड

3

🌳⛳गुरुओं की भूमि⛳🌳

3 सितम्बर 2022
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ये पवित्र भारत भूमि है, देवों ने भी जन्म लिया, ये ऋषियों की भूमि है, ज्ञानी गुरुओं की भूमि है।वशिष्ठ, विश्वामित्र जैसे तपस्वी हुए,तो स्वयं नारायण ने भी अवतार लिया।जब-जब अत्याचार बढ़ा, धरा पर,हमेश

4

♧गरीब ब्राह्मण का भाग्य♧

3 सितम्बर 2022
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एक समय की बात है, मदनपुर गाँव में शंकर नाम का एक निर्धन,विद्वान,ज्ञानी ब्राह्मण रहता था। उसके परिवार में उसकी पत्नी लक्ष्मी और उसका एक लड़का विजय था। वह अपने परिवार का पालन-पोषण अलग-अलग गाँव में जाकर

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