मातृभाषा हिंदी और हिंदी साहित्य हमें हमारी संस्कृति और सभ्यता से रूबरू कराता है। हिंदी साहित्य भारतीय संस्कृति का एक अहम हिस्सा है। प्रकृति में प्रत्येक प्राणी-जीवजगत का प्राकट्य शून्य से शुरू होता है, वह अपने संघर्ष और कर्तव्यों से अपनी मंजिल तक का सफ़र तय करता है। मानव जीवन भी इसी प्रकार है - "शून्य से सफ़र तक" का फासला ही जीवन है। जिसने यह समझ लिया, वह जीवन जीने की कला सीख गया। प्रत्येक पहलू का प्रारंभ शून्य से ही होता है। "शून्य से साहित्य तक!" का सफ़र मुश्किल नहीं तो बहुत सरल भी नहीं होता है।