रक्त उबाल मारता है मेरा,
जब निर्दोष लड़के को, दोषी बताया जाता है।
वह कहती रही, छेड़खानी करता है, ये रोज,
महफिल में बैठ, सब मूक होकर सुनते रहे,
गलती किसकी है? जाने बिना,
अन्याय होता देखते रहे।
गलती इस बार लड़की की थी।
गलत लड़की है, पर निर्दोष बताया जाता है।
हर बार क्यों लड़के को दोषी बताया जाता है?
मासूम था, किसी की आँखों का तारा था,
सपने संजोए थे, नाम कमाने के लिए,
निराशा को छोड़,उसने संघर्ष को अपनाया था।
क्या गलती थी, उसकी.?
बस यहीं कि लड़की से दोस्ती कर बैठा,
शुरुआत की दोस्ती लड़की ने,
गर ठुकराता है, दोस्ती..!
तो समाज में घमंडी बताया जाता है।
हर बार क्यों लड़के को दोषी बताया जाता है?
गलत,धोखेबाज, मतलबी लड़की थी,
जो एक मासूम की जान ले ली।
गलती इंसाफ करने वाले की भी थी,
जो सच जाने बिना, लड़की की बातें सुन,
निर्दोष लड़के को, मौत सुना डाली।
अपील करता रहा वह माँ का लाडला,
वो चिल्लाता रहा, बिलखता रहा,
पर गलत सोच के आगे अकेला पड़ गया।
अब सोच बदलो, समय बदल रहा है,
हर बार क्यों? लड़की के बहकावे में आकर,
लड़के को जिंदा जलाया जाता है।
हर बार क्यों लड़के को दोषी बताया जाता है?
✍️स्वरचित✍️
सचिन लोधी "SPK"
नरसिंहपुर, म.प्र. 487001