
सुधीर बमोला
common.booksInLang
common.articlesInlang



Sudhirbamola
मैं ज़िन्दगी का साथ अकेले निभा गया। रोका जिसे भी राह में वो भागता गया।।जिसके लिए भी राह में रुक कर चला था मैं।वो शख़्स साथ छोड़कर आगे चला गया।।मुझको लगा की ढूँढने आएंगे

Sudhirbamola
<p>मैं ज़िन्दगी का साथ अकेले निभा गया।</p> <p>रोका जिसे भी राह में वो भागता गया।।<br></p><br><p>जिसके लिए भी राह में रुक कर चला था मैं।<br></p><p>वो शख़्स साथ छोड़कर आगे चला गया।।<br></p><br><p>मुझको लगा की ढूँढने आएंगे