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सूने दिल के आँगन में

20 नवम्बर 2022

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सूने दिल के आँगन में किसी ने मुस्कुराया हैं
जहाँ पतझड़ का मौसम था वहाँ बहार छाया हैं
उजड़ी थी दिल की बस्ती तुमने फिर सजाया हैं
बहारों फूल बरसावो मेरा मेहबूब आया हैं।
                                                        -"अंजान"

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