सूने दिल के आँगन में किसी ने मुस्कुराया हैं
जहाँ पतझड़ का मौसम था वहाँ बहार छाया हैं
उजड़ी थी दिल की बस्ती तुमने फिर सजाया हैं
बहारों फूल बरसावो मेरा मेहबूब आया हैं।
-"अंजान"
20 नवम्बर 2022
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मेरा नाम योगेंद्र सिंह पटेल हैं। बचपन से ही काव्यों से बहुत प्रभावित रहा हूँ और बचपन से ही कविता लिखना मेरा पसन्दीदा कार्य रहा हैं। मैं एक कवि हूँ।D