जीवन के जग रीत की
हार की या जीत की
लगता हैं जैसे सपना सा
हो कोई अपना सा
सफ़र के मुसाफ़िर को
चाहिए नित ध्यान
लक्ष्य किधर बढ़ना कहाँ
पहले लो जान
सफ़र में जो साथ दे
लगता हैं जैसे सपना सा
हो कोई अपना सा।
सफ़र का अंजाम
क्या होगा "अंजान"
गर हो इरादा पक्का
मिलेंगे फिर भगवान
साथ चले जो हम राही
रास्ता होगा आसान
अकेले जीवन में यह सब
लगता हैं जैसे सपना सा
हो कोई अपना सा।
-अंजान"