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योगेन्द्र सिंह के बारे में

सभी सुधी पाठकों को मेरा करबद्ध प्रणाम, मेरा नाम योगेन्द्र सिंह है। मेरा जन्म 5 सितम्बर सन् 1957 (शिक्षक दिवस) को उत्तर प्रदेश के इटावा जनपद के एक छोटे से गांव- धुवियाई (पोस्ट- लवेदी) के एक सामान्य परिवार में हुआ। मेरे पूज्य पिताजी स्व० श्री वीरेन्द्र सिंह जी भारतीय रेलवे में दिल्ली मे कार्यरत थे एवं पूज्य माताजी स्व० श्रीमती निर्मला देवी जी एक गृहणी थी। मेरी प्रायमरी तक की शिक्षा दिल्ली में ही सम्पन्न हुई तत्पश्चात हाई स्कूल एवं इन्टरमीडिएट ग्रामीण अंचल में पूरी होने के बाद सन् 1977 में कानपुर यूनिवर्सिटी से भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान एवं गणित में स्नातक परीक्षा उत्तीर्ण की। मेरा विवाह सन् 1982 मे श्रीमती नीरज (फर्रुखाबाद) के साथ सम्पन्न हुआ। अभी मेरे परिवार में दो पुत्रियां एवं दो पुत्र हैं। बचपन से ही मेरी रुचि कामिक्स एवं कहानियां पढ़ने में थी जो उम्र बढ़ने के साथ साथ कविताऐं और उपन्यास पढ़ने तक जारी रही और वहीं से कविता लिखने की शुरुआत हुई परन्तु दिल्ली आकर जीविका और जीवन के संघर्ष में उम्र कब निकल गई, पता ही नहीं चला। एक प्राइवेट फर्म की लगातार 32 वर्षों की अकाउंटेंट की नौकरी से मुक्ति पाने के बाद सन् 2014 से अपने ही निवास पर स्टेशनरी की एक छोटी सी दुकान पर क्रियाशील रहते हुए तभी से जीवन के संघर्ष एवं अनुभव पर आधारित कविताएं लिखने का अपना शौक पूरा कर रहा हूं। धन्यवाद! योगेन्द्र सिंह वर्तमान स्थाई निवास... 1/4649/17A, गली न० 10, गांधी मार्ग, न्यू माडर्न शाहदरा, दिल्ली - 110032 मोबाइल न०- 9968576235.

पुरस्कार और सम्मान

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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2022-12-17
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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2022-07-01
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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2022-06-05
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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2022-03-16

योगेन्द्र सिंह की पुस्तकें

उम्र अभी बाकी है

उम्र अभी बाकी है

प्रिय पाठक, ईश्वर आप सभी को सदैव प्रसन्न रखे! शब्द.इन प्रकाशन द्वारा मेरी अपनी रचनाओं के साकार रूप इस पुस्तक के प्रकाशन पर अन्तर्मन् में अतिशय आनन्द का अनुभव कर रहा हूं। कालेज के समय से ही कविता पढ़ने, सुनने एवं लिखने का बहुत शौक था जो परिस्थितियों

11 पाठक
80 रचनाएँ
12 लोगों ने खरीदा

ईबुक:

₹ 66/-

प्रिंट बुक:

243/-

उम्र अभी बाकी है

उम्र अभी बाकी है

प्रिय पाठक, ईश्वर आप सभी को सदैव प्रसन्न रखे! शब्द.इन प्रकाशन द्वारा मेरी अपनी रचनाओं के साकार रूप इस पुस्तक के प्रकाशन पर अन्तर्मन् में अतिशय आनन्द का अनुभव कर रहा हूं। कालेज के समय से ही कविता पढ़ने, सुनने एवं लिखने का बहुत शौक था जो परिस्थितियों

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योगेन्द्र सिंह के लेख

प्रकृति संदर्भ

17 दिसम्बर 2022
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धर्म ग्रंथ कहते हैं, ऋषि मुनि, वर्ष हजारों तक जीते थे।कंदमूल फल खाते थे और,नदियों का पानी पीते थे।योग तपोबल से देवों के ,दर्शन वो पाया करते थे।उनके लिए अवतरित हो,भगवान स्वयं आया करते थे।।रामायण औ

प्रकृति प्रकोप

17 दिसम्बर 2022
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पूरा वातावरण प्रदूषित,भोजन, हवा, नाद या पानी।कोई क्षेत्र नहीं छोड़ा,जिस जगह न की हमने मनमानी।।अब भूकंप अगर आए तो,हम कुदरत को कोस रहे हैं।और बाढ़ आए तो पावन नदियों को दे दोष रहे हैं।।इतना किया अनर

प्रकृति संहार

17 दिसम्बर 2022
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लिया जन्म जिस धरती पर,उस धरती पर ही भार हैं।जिन तत्वों से ये तन पाया,वे ही बने शिकार हैं।।पावक,पवन,भूमि,जल,अम्बर,आज सभी व्यापार हैं।शोषण इतना हुआ प्रकृति का,चहुं दिश हाहाकार है।।जो धरती से मिला हमे,हम

कोरोना के प्रभाव

17 दिसम्बर 2022
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प्रतिबंधों के साथ, रात दिनमें भी क्या अंतर होता है।सारी रात जागता प्राणी,सारे दिन निष्क्रिय सोता है।कुछ प्रभार, दायित्व मुक्त है,कुछ मोबाइल के मारे है।आभासी दुनियां में खोए,ये भविष्य के हरकारे हैं।।अप

कोरोना में प्रकृति सुधार

17 दिसम्बर 2022
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प्रतिबंधों से लाभ मिला ये,धरती अम्बर शुद्ध हो गए।जंतु विचरते मुक्त, प्रदूषण मार्ग सभी अवरुद्ध हो गए।।रात चांदनी होती है अब,अम्बर में तारे दिखते हैं।नदियां, झीलें, ताल, सरोवर,स्वच्छ स्रोत सारे दिख

कोरोना का रोना

17 दिसम्बर 2022
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एक महामारी ने कैसे,मानव को उद्विग्न कर दिया।सारी गतिविधियों को रोका,हर दिल में आतंक भर दिया।।हाथ मिलाने से डरते हैं, जो कल गले मिला करते थे।नहीं बुलाते, अब, जो, घरना आने पर रोज गिला करते थे।।शादी

चीनी जीवास्त्र

17 दिसम्बर 2022
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एक चीन ने दुनियां भर में,कैसा ये बवाल कर डाला।एक वाइरस ऐसा छोड़ा,लटका भूमंडल पर ताला।।समझ न पाया कोई जग में, दुष्ट निशाचर का मंसूबा।खुद को तो बर्बाद किया ही,सारी दुनियां को लेे डूबा।।महाशक्ति होक

लाॅक डाउन की यादें

17 दिसम्बर 2022
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लॉक डाउन ने किया है लॉक मेरा तन बदन, मन का पंछी आज भी पंखों सहित आजाद है।सोच झूलों सी विकल पैगें बढ़ाती रात दिन,और यादों से जुड़ी मस्तिष्क की परवाज़ है।।रोजमर्रा जिंदगी के पूर्व निर्धारित चरण,आज

अभी बहुत लिखना बाकी है!

22 नवम्बर 2022
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बचपन से ही शौक बहुत था,पढ़ने का काॅमिक्स, कहानी।उम्र बढ़ी तो गीत, गजल और,कविताओं में रुचि पहचानी।।कविताओं का विविध रूप,मन,अन्तर्भावों की झांकी है।अभी बहुत लिखना बाकी है।।शुरु किया तो अन्तर्मन के

आजादी सबको प्यारी है

22 नवम्बर 2022
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जीव- जन्तु जो भी हैं जग में।भूतल पर या जल में, नभ में।।जन-मानस के साथ प्रकृति की,इनके सबके संग यारी है।आजादी सबको प्यारी है।।नहीं चाहता बन्धन कोई।सीमा में बंध, क्रन्दन कोई।।दुनियां का&nbsp

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