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उम्र अभी बाकी है

उम्र अभी बाकी है

योगेन्द्र सिंह

82 भाग
12 लोगों ने खरीदा
11 पाठक
28 नवम्बर 2022 को पूर्ण की गई
ISBN : 978-93-94582-70-5
ये पुस्तक यहां भी उपलब्ध है Amazon Flipkart

प्रिय पाठक, ईश्वर आप सभी को सदैव प्रसन्न रखे! शब्द.इन प्रकाशन द्वारा मेरी अपनी रचनाओं के साकार रूप इस पुस्तक के प्रकाशन पर अन्तर्मन् में अतिशय आनन्द का अनुभव कर रहा हूं। कालेज के समय से ही कविता पढ़ने, सुनने एवं लिखने का बहुत शौक था जो परिस्थितियोंवश अब जाकर पूरा हुआ है। पिछले कुछ वर्षों में खासकर कोविड के समय में जब जन जीवन केवल स्वयं तक ही सीमित होकर रह गया था तब बहुत समय मिला अपनी लेखन की विधा को और अधिक समृद्ध एवं जागृत करने का। इस पुस्तक में समाहित मेरी अधिकतर रचनाएं इस धरा पर जीवन के अस्तित्व, सामान्य जन की प्रकृति स्वपनों, अपेक्षाओं और उनके रोजमर्रा के संघर्ष और उससे सम्बन्धित अनुभवों पर आधारित हैं। अपने आस पास के परिवेश और घटनाओं के प्रभाव की कुलबुलाहट जब जबअन्त:करण में भावनाओं की अभिव्यक्ति बनकर उभरती है तब तबएक नई कविता का जन्म होता है। इस पुस्तक के प्रकाशन के लिए मैं शब्द.इन प्रकाशन और इसकी पूरी टीम के सहयोग, समर्थन एवं मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद एवं हार्दिक आभार प्रकट करता हूं। बिना इन सभी के सहयोग के यह संभव नहीं हो सकता था। अन्तत: मेरी यह भावनात्मक प्रस्तुति आपके अन्तर्मन में कितनी गहराई तक विचलन पैदा करती है, कितना स्वयं से जोड़ती है, वही मेरी इन सभी रचनाओं की सफलता का मानक बनेगा। इस पुस्तक में समाहित रचनाओं के विषय में आप सभी की सलाह एवं प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी। इति, आपका शुभाकांक्षी, योगेन्द्र सिंह 

उम्र अभी बाकी है

उम्र अभी बाकी है

योगेन्द्र सिंह

82 भाग
12 लोगों ने खरीदा
11 पाठक
28 नवम्बर 2022 को पूर्ण की गई
ISBN : 978-93-94582-70-5
ये पुस्तक यहां भी उपलब्ध है Amazon Flipkart

प्रिय पाठक, ईश्वर आप सभी को सदैव प्रसन्न रखे! शब्द.इन प्रकाशन द्वारा मेरी अपनी रचनाओं के साकार रूप इस पुस्तक के प्रकाशन पर अन्तर्मन् में अतिशय आनन्द का अनुभव कर रहा हूं। कालेज के समय से ही कविता पढ़ने, सुनने एवं लिखने का बहुत शौक था जो परिस्थितियोंवश अब जाकर पूरा हुआ है। पिछले कुछ वर्षों में खासकर कोविड के समय में जब जन जीवन केवल स्वयं तक ही सीमित होकर रह गया था तब बहुत समय मिला अपनी लेखन की विधा को और अधिक समृद्ध एवं जागृत करने का। इस पुस्तक में समाहित मेरी अधिकतर रचनाएं इस धरा पर जीवन के अस्तित्व, सामान्य जन की प्रकृति स्वपनों, अपेक्षाओं और उनके रोजमर्रा के संघर्ष और उससे सम्बन्धित अनुभवों पर आधारित हैं। अपने आस पास के परिवेश और घटनाओं के प्रभाव की कुलबुलाहट जब जबअन्त:करण में भावनाओं की अभिव्यक्ति बनकर उभरती है तब तबएक नई कविता का जन्म होता है। इस पुस्तक के प्रकाशन के लिए मैं शब्द.इन प्रकाशन और इसकी पूरी टीम के सहयोग, समर्थन एवं मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद एवं हार्दिक आभार प्रकट करता हूं। बिना इन सभी के सहयोग के यह संभव नहीं हो सकता था। अन्तत: मेरी यह भावनात्मक प्रस्तुति आपके अन्तर्मन में कितनी गहराई तक विचलन पैदा करती है, कितना स्वयं से जोड़ती है, वही मेरी इन सभी रचनाओं की सफलता का मानक बनेगा। इस पुस्तक में समाहित रचनाओं के विषय में आप सभी की सलाह एवं प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी। इति, आपका शुभाकांक्षी, योगेन्द्र सिंह

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पुस्तक के भाग
1

जीवन-तत्व

11 फरवरी 2022

2
0
2

काश रोज "रोटी डे" होता...

13 फरवरी 2022

1
0
3

आज-कल

16 फरवरी 2022

1
0
4

एक अकेला चांद...

4 मार्च 2022

1
0
5

जुगनुओं के शहर में...

15 मार्च 2022

0
0
6

मौसम का मिज़ाज

16 मार्च 2022

0
0
7

होली के हुड़दंग में...

17 मार्च 2022

0
0
8

सात रंगों के सफर में...

21 मार्च 2022

0
0
9

जंग जो हम लड़ रहे हैं...

23 मार्च 2022

0
0
10

क्या खोया क्या पाया हमने...

26 मार्च 2022

0
0
11

गांव-शहर, आजकल!

28 मार्च 2022

0
0
12

जिन्दगानी का कोई भरोसा नहीं...

29 मार्च 2022

0
0
13

किताबें जो सिखातीं हैं...

30 मार्च 2022

0
0
14

लालसा

31 मार्च 2022

0
0
15

जय माता की !!

3 अप्रैल 2022

0
0
16

निराधार

11 अप्रैल 2022

0
0
17

कर्म फल

3 जून 2022

0
0
18

अपनी अपनी मंजिलें...

4 जून 2022

0
2
19

पर्यावरण के दोषी...

5 जून 2022

1
0
20

खामोशी के पीछे का सच...

19 जून 2022

0
0
21

ये कैसी दोस्ती...?

20 जून 2022

0
0
22

कतरा-कतरा ज़िन्दगी !

24 जून 2022

0
2
23

पौधा एक लगाया मैने...

27 जून 2022

1
2
24

अन्तिम प्रहर का सच...

1 जुलाई 2022

1
2
25

ख्वाबों की हकीकत

4 जुलाई 2022

1
2
26

नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि......!

29 अगस्त 2022

2
0
27

कौन है...?

30 सितम्बर 2022

0
0
28

उम्र का बन्धन

2 अक्टूबर 2022

0
0
29

हमसफर

2 अक्टूबर 2022

0
0
30

कृपा करना महारानी !!

2 अक्टूबर 2022

0
0
31

कितने रावण...?

4 अक्टूबर 2022

0
0
32

नज़्म बाकी है...!

7 अक्टूबर 2022

2
2
33

यादों का सफर

9 अक्टूबर 2022

0
0
34

करवा चौथ पर विशेष (1989 की रचना)

12 अक्टूबर 2022

1
2
35

एक दिन की बादशाहत

13 अक्टूबर 2022

2
0
36

तेरा साथ है तो...

13 अक्टूबर 2022

0
0
37

आत्म-चिंतन

16 अक्टूबर 2022

0
0
38

भाव-शून्य

17 अक्टूबर 2022

0
0
39

रफ़्तार...!

18 अक्टूबर 2022

0
0
40

जीवन का अधिकार - शाकाहार

21 अक्टूबर 2022

1
2
41

जो समझते हैं...!

22 अक्टूबर 2022

0
0
42

सूनी आंखों में...

22 अक्टूबर 2022

0
0
43

'दिया' कहां तक भरे उजाले?

23 अक्टूबर 2022

1
2
44

आईना

23 अक्टूबर 2022

1
0
45

इस दीवाली...

25 अक्टूबर 2022

0
0
46

ज़िन्दगी का फलसफा

28 अक्टूबर 2022

0
0
47

एक दिन...!

31 अक्टूबर 2022

0
0
48

जीवन के दिन रात

4 नवम्बर 2022

0
0
49

कुछ ना कुछ तो होना ही है!

4 नवम्बर 2022

0
0
50

गलती की गलती...

5 नवम्बर 2022

0
0
51

इन्द्रियों के गुलाम

5 नवम्बर 2022

0
0
52

इच्छाओं का अंत नहीं है!

8 नवम्बर 2022

0
0
53

दुख की परिभाषा

9 नवम्बर 2022

0
0
54

जमाना याद करेगा !

12 नवम्बर 2022

0
0
55

फिर न कहना...

13 नवम्बर 2022

0
0
56

आज काम की बात करेंगे!

14 नवम्बर 2022

0
0
57

मौसम से सीखा है...

15 नवम्बर 2022

0
0
58

...दोष क्या देना!

15 नवम्बर 2022

0
0
59

समाधान

16 नवम्बर 2022

0
0
60

कुछ खोया, कुछ पाया हमने...

16 नवम्बर 2022

0
0
61

कड़वा सच

17 नवम्बर 2022

0
0
62

उम्र अभी बाकी है .....!

18 नवम्बर 2022

0
0
63

आस - विश्वास

18 नवम्बर 2022

0
0
64

अ - सफलता

19 नवम्बर 2022

0
0
65

अनुशासन का महत्व

20 नवम्बर 2022

1
0
66

कितना और गरल पीना है...?

21 नवम्बर 2022

0
0
67

अभी नहीं तो कभी नहीं!

21 नवम्बर 2022

0
0
68

काम न कोई छोटा होता...

21 नवम्बर 2022

0
0
69

अधिकारों की बात

21 नवम्बर 2022

0
0
70

ज़िन्दगी

22 नवम्बर 2022

0
0
71

आजादी सबको प्यारी है

22 नवम्बर 2022

0
0
72

अभी बहुत लिखना बाकी है!

22 नवम्बर 2022

0
0
73

लाॅक डाउन की यादें

17 दिसम्बर 2022

0
0
74

चीनी जीवास्त्र

17 दिसम्बर 2022

0
0
75

कोरोना का रोना

17 दिसम्बर 2022

0
0
76

कोरोना में प्रकृति सुधार

17 दिसम्बर 2022

0
0
77

कोरोना के प्रभाव

17 दिसम्बर 2022

0
0
78

प्रकृति संहार

17 दिसम्बर 2022

0
0
79

प्रकृति प्रकोप

17 दिसम्बर 2022

0
0
80

प्रकृति संदर्भ

17 दिसम्बर 2022

0
0
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