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त्यौहार है रंगों का

13 मार्च 2017

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आओ बैर मिटाये ...

थोडा गुलाल लगाये !

में रंग दू तुझे लाल

तू रंग दे मुझे गुलाल

लाल पीला हरा गुलाबी जो चाहो ...

बस प्यार से लगाये !

आओ बैर मिटाये

अपनो को भिगाये !

नाचे ढोल बजाये बस खुशियां लुटाये ! !

जयति' रंग दो गुलाल गले मिलो लाओ बहार !!!



त्यौहार है रंगों का दुनिया है रंग बिरंगी रंगलो

प्यार के रंगों से फ़िर दुश्मन हो या हो संगी!!

लेख िका -

जयति जैन

- y



जयति जैन - नूतन - की अन्य किताबें

Narendra Keshkar

Narendra Keshkar

बहुत ही सुंदर और रंग-बिरंगी रचना है।

13 मार्च 2017

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लड़का बिकाऊ है

8 मार्च 2017
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लड़का अधिकारी था, मां-बाप के रंग-ढंग बदल गये थे ! शादी के लिये लड़के की बोलिया लगने लगी थी, जो 40 लाख देगा वो अपनी लड़की ब्याह सकता है, जो 60 लाख देगा लड़का उसके घर का दामाद बन जायेगा, जो 1 करोड देगा लड़का उनका ! समझ नहीं आता कि वो लड़का वाकई अधिकारी था या भिखारी,

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मोदी जी अब हमे एक ही वचन चाहिये

11 मार्च 2017
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मोदी जी अब हमे एक ही वचन चाहिये अब उ.प्र. भी आरक्षण मुक्त होना चाहिये... ना कोई दलित ना कोई बनिया ना ही ब्राह्मण सारी जातिगत भेदभाव को मिटाईये अब उ.प्र. भी आरक्षण मुक्त होना चाहिये... शिक्षा पर सभी का समान हक होना चाहिये सामान्य भरे 500 तो अन्य के 100 नही होने चाहिये अब उ

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त्यौहार है रंगों का

13 मार्च 2017
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आओ बैर मिटाये ... थोडा गुलाल लगाये ! में रंग दू तुझे लाल तू रंग दे मुझे गुलाल लाल पीला हरा गुलाबी जो चाहो ... बस प्यार से लगाये ! आओ बैर मिटायेअपनो को भिगाये ! नाचे ढोल बजाये बस खुशियां लुटाये ! ! जयति' रंग दो गुलाल गले मिलो लाओ बहार !!! त्यौहार है रंगों का द

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आखिर तुम्हारे पास... क्या है मेरे नाम का?

21 मार्च 2017
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लोग पत्नी का मजाक उड़ाते है। बीवी केनाम पर कई MSG भेजते है उन सभी के लीये-------------- Please Read This....A Lady's Simple Questions & Surely It WillTouch A Man's heart... ------------------------ देह मेरी ,हल्दी तुम्हारे नाम की । हथे

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योगी जी अब हमे एक ही वचन चाहिये

29 मार्च 2017
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रचनाकार- जयति जैन, विधा- कविता योगी जी अब हमे एक ही वचन चाहिये अब उ.प्र. भी आरक्षण मुक्त होना चाहिये… ना कोई दलित ना कोई बनिया ना ही ब्राह्मण सारी जातिगत भेदभाव को मिटाईये अब उ.प्र. भी आरक्षण मुक्त होना चाहिये… शिक्षा पर सभी का समान हक होना चाहिये सामान्य भरे 500 तो अन्य के 100 नही होने चाहिय

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लोगों को बांटने का साधन - धर्म

2 अप्रैल 2017
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धर्म - आज लोगों को बांटने का का साधन बन गया है !धर्म क्या है ? इसके बारे में क्या जानते हो ? आज लोग ये नहीं कहते कि धर्म हमें शांति के पथ पर अग्रसर करता है, धर्म श्रद्धा-आस्था का प्रतीक है ! धर्म हमें ईश्वर से जोड़ने का काम करता है !आज लोग ये माने या ना माने लेकिन

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90% पुरूषो को ही हार्ट अटैक क्युं आते हैं ?

5 अप्रैल 2017
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90% पुरूषो को ही हार्ट अटैक क्युं आते हैं ? मेरा जबाब- कई वज्ह है : हिचकिचाहट, घबराहट, उनका नाकामयाबी का डर, लोग क्या कहेगे, उनका ईगो, शर्मिन्द्गी, परिवार को क्या लगेगा, उन्हें क्युं परेशान करे , मर्दानिगी को ठेस पहुचेगी ...आदि... सबके साथ अलग अलग स्थिति होती हैं !! सबसे बडा होता है उनका ईगो, कि ह

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बस 2 मिनट

12 अप्रैल 2017
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आराम से बैठ कर सोचिये…थोडा अतीत में जाइये, देखिये एक मस्तमोला इसान जो कभी आप हुआ करते थे, वो इंसानजो छोटी छोटी बातों में खुशियों को ढूढ लेता था ! जिसे किसी खास वज्ह की जरुरत नहीं होती थी, अपनों से पुराने दोस्तों से बात करने में ! अब हैं क्या आप वही ??? नहीं यही जबाब मिले

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कुछ की आदत होती है

19 अप्रैल 2017
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आधे लोग तो बस इसीलिये बक बकाने लगते हैं कि - लडकी है और इतना बोल गयी... लडकी है और इतना कर गयी... इतने लड़को को सुना दी ! फ़िर कुछ सोचते हैं केसे भी करके इसकी आवाज़ दबा दे ... बस यही वो सबसे बडी भूल कर जाते हैं ! उन्हे लगता है जेसे उनकी घर की औरते हैं विजि ही और है क्युकिं

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जयति जैन

19 अप्रैल 2017
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मेरे विचार .....

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*धारा 370* जरूर जानिए... क्युं होती है बहस

1 मई 2017
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जम्मू- कश्मीर के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता होती है । जम्मू-कश्मीर का राष्ट्रध्वज अलग होता है जम्मू - कश्मीर की विधानसभा का कार्यकाल 6 वर्षों का होता है जबकी भारत के अन्य राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल 5वर्ष का होता है । जम्मू-कश्

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सुषमा स्वराज- सर्वश्रेष्ठ भारतीय महिला राजनीतिज्ञ

23 अप्रैल 2018
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भारत की पहली महिला विदेश मंत्री , दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री और देश में किसी राजनीति क दल की पहली महिला प्रवक्ता ... इसमें कोई दोराय नहीं है कि सुषमा स्वराज जैसी कोई और विदेश मंत्री पहले भारत

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किस ओर जा रहे हैं हम

11 जुलाई 2019
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सैफीना के बच्चे को जब मीडिया ने खाने-पीने से लेकर, उठने बैठने तक की बे-बुनियादी खबरों में बार-बार दिखाया तो ना जाने क्यों मुझे मरते बच्चों का चेहरा बार-बार याद आया। हां बच्चे ही तो थे, अपने थोड़ी थे, ना उस दोगली मीडिया के थे। ये बच्चे त

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