कविता- जीएसटी
मैं सो रही थी मुझे उठाया गया,नींद में ही गाडी में बैठाया गया !होश में आती उससे पहले ही बताया गया, व्यापारियों का खून चूसने जीएसटी लगाया गया !अधिकारी के दफ़्तर संग लाया गया,टेक्स का सारा दुख जताया गया !टेक्स का सारा दुख जताया गया,मुझे अधिकारी के दफ़्तर लाया गया !बोले पहल तुम करोगी हमारी,दलदल में मुझ बे