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उड़ीसा ट्रेन हादसा

3 जून 2023

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          शुक्रवार शाम 7:20 का समय , किसी यात्री के रात्रि भोजन करने का तो किसी का संध्याकाल का तो किसी का भोजन कर 8:00 बजे गहरी निद्रा ले लेने का ।यह हलचल चल रही थी उड़ीसा के बालासोर जिले को पार कर रही है कोरोमंडल एक्सप्रेस में ।लेकिन इस रेल में बैठे यात्रियों को क्या पता था कि उनका जीवन अब थमने वाला है? वह अपने जीवन के अंतिम स्टेशन पर पहुंच गए हैं?
यह ट्रेन हादसा अब तक हुए ट्रेन हादसे में छठवां सबसे बड़ा हादसा बताया जा रहा है जिसमें अब तक 260 से ज्यादा लोगों की मृत्यु 900 से ज्यादा लोगों के घायल होने की खबरें आ रही है। उड़ीसा के मुख्य सचिव प्रदीप जेना ने बताया कि इस हादसे में तीन ट्रेनें दुर्घटनाग्रस्त एक साथ हुई है, यह किसी रेल हादसे के इतिहास में पहली बार हुआ है। बेंगलुरु से हावड़ा जा रही यशवंतपुर हावड़ा ट्रेन 12864 के डिब्बे उतर कर दूसरी ट्रेक पर जा गिरे ।इसी दौरान दूसरी ओर से आ रही शालीमार चेन्नई कोरोमंडल एक्सप्रेस(12841) बेपटरी हुए डिब्बे से जा भिड़ी, साथ ही इस ट्रेन के कुछ डिब्बे बगल में खड़ी मालगाड़ी से भिड़ गए ।यह दुर्घटना भुवनेश्वर से 175 किलोमीटर दूर स्थल पर हुई। जहां तुरंत पहले स्थानीय लोग पहुंच गए बाद में तो हजारों की तादाद में बचावकर्मी पहुंच गये।
          रेलवे हादसों के लिए रेलवे विभाग सदा सुर्खियों में रहा है। आजाद भारत में अब तक ऐसे 5 बड़े रेल हादसे हो चुके हैं ।पिछले 42 वर्षों में 71 से ज्यादा रेल हादसे हो चुके हैं ।
      पहला हादसा 6 जून 1981 को बिहार में बागमती नदी में एक ट्रेन गिरने से हुआ और 750 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई ।20 अगस्त 1995 को खड़ी कालिंदी एक्सप्रेस से पुरुषोत्तम एक्सप्रेस टकरा गई जिसमें 305 लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा ।26 नवंबर 1998 को सियालदह एक्सप्रेस गोल्डन टेंपल मेल से टकराई जिसमें 212 लोगों ने अपनी जाने गवाही ।2 अगस्त 1999 को ब्रह्मपुत्र एक्सप्रेस मेल Gelsal स्टेशन पर अवध एक्सप्रेस से टकरा गई जिसमें 285 लोग चिर निद्रा में सो गए और 300 से ज्यादा घायल हो गए। और फिर 2 जून 2023 का दिन जिस दिन उड़ीसा में तीन ट्रेनें एक साथ टकराना जो अब तक का सबसे बड़ा रेल हादसा बताया जा रहा है । 260 से ज्यादा लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। 950 से ज्यादा घायल हो गए ।अब चाहे कितने ही मंत्री व प्रधानमंत्री शोक व्यक्त करने या दुर्घटना स्थल का मुआवजा करने जाओ वह बेमौत सोए हुए लोगों को कभी भी नहीं जगा सकते। उनके परिवार को दिया गया मुआवजा उनके परिवार के सदस्यों की जान को वापस नहीं लौटा सकता। इस तरह रेलवे विभाग के द्वारा की गई लापरवाही ही उसे हमेशा सुर्खियों में रखता है।।। क्या इसके लिए कोई गैजेट्स अब तक नहीं बना!!!!
                                   डॉ.ममताजालान

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यह सब ईश्वरीय लीला न होकर भ्रष्टाचार की कुप्रथा का परिणाम है। जो इतने अनमोल जीवनों को लील गया। आदरणीय महोदया यह लापरवाही नहीं बल्कि मौलिक कर्तव्यों का हनन है और रेलवे मंत्रालय द्वारा मौलिक कर्तव्यों के हनन से देशवासियों के जीवन जीने के मौलिक अधिकारों को समाप्त कर गया। ॐ शांति ॐ

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