
दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"
दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्" रोटी के जुगाड़ से बचे हुए समय का शिक्षार्थी मौलिकता मेरा मूलमंत्र, मन में जो घटता है उसमें से थोड़ा बहुत कलमबद्ध कर लेता हूँ । सिर्फ स्वरचित सामग्री ही पोस्ट करता हूँ । शिक्षा : परास्नातक (भौतिक शास्त्र), बी.एड., एल.एल.बी. काव्य संग्रह: इंद्रधनुषी, तीन (साझा-संग्रह) नाटक: मधुशाला की ओपनिंग सम्पादन: आह्वान (विभागीय पत्रिका) सम्प्रति: भारत सरकार में निरीक्षक पद पर कार्यरत स्थान: कानपुर, मेरठ, रामपुर, मुरादाबाद, नोएडा, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)











ड्योढ़ी लाँघकर
मेरी मनपसंद वो कवितायेँ जो मेरे अंतर्मन की ड्योढ़ी लांघकर आप तक पहुँचने के प्रयास में हैं ।

ड्योढ़ी लाँघकर
मेरी मनपसंद वो कवितायेँ जो मेरे अंतर्मन की ड्योढ़ी लांघकर आप तक पहुँचने के प्रयास में हैं ।



हरिशंकर की परछाईं
हास्य-व्यंग्य की रोचक यात्रा नाटक विधा के रूप में ....... आशान्वित हूँ कि आपको पसंद आएगा

हरिशंकर की परछाईं
हास्य-व्यंग्य की रोचक यात्रा नाटक विधा के रूप में ....... आशान्वित हूँ कि आपको पसंद आएगा

मधुशाला की ओपनिंग
दो शराबियों के द्वारा अपनी खुद की मधुशाला खोलने के प्रयास..... (पूर्व में इस नाटक का मंचन हो चुका है, यदि किसी को मंचन के लिए नाटक की स्क्रिप्ट चाहिए तो सूचित करके लेखक से इसे प्राप्त कर सकता है। अभी यहाँ पर प्रकाशित होने में थोड़ा समय लग सकता है )

मधुशाला की ओपनिंग
दो शराबियों के द्वारा अपनी खुद की मधुशाला खोलने के प्रयास..... (पूर्व में इस नाटक का मंचन हो चुका है, यदि किसी को मंचन के लिए नाटक की स्क्रिप्ट चाहिए तो सूचित करके लेखक से इसे प्राप्त कर सकता है। अभी यहाँ पर प्रकाशित होने में थोड़ा समय लग सकता है )

एक अज्ञानी के दो शब्द
महान लेखन को पढ़कर मन में कुछ न कुछ घटित अवश्य होता है। मुझे ऐसा विचार आया कि अपने मन के कूप में पड़े रहकर काई लगने से अच्छा है कि मुक्त आकाश में इन मन-घटित को विचरने दें ताकि मेरी मुक्ताकाश में उडती पतँग को देखकर और पतंगे भी पेंग लें और शायद मेरा शब्

एक अज्ञानी के दो शब्द
महान लेखन को पढ़कर मन में कुछ न कुछ घटित अवश्य होता है। मुझे ऐसा विचार आया कि अपने मन के कूप में पड़े रहकर काई लगने से अच्छा है कि मुक्त आकाश में इन मन-घटित को विचरने दें ताकि मेरी मुक्ताकाश में उडती पतँग को देखकर और पतंगे भी पेंग लें और शायद मेरा शब्