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दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्" रोटी के जुगाड़ से बचे हुए समय का शिक्षार्थी मौलिकता मेरा मूलमंत्र, मन में जो घटता है उसमें से थोड़ा बहुत कलमबद्ध कर लेता हूँ । सिर्फ स्वरचित सामग्री ही पोस्ट करता हूँ । शिक्षा : परास्नातक (भौतिक शास्त्र), बी.एड., एल.एल.बी. काव्य संग्रह: इंद्रधनुषी, तीन (साझा-संग्रह) नाटक: मधुशाला की ओपनिंग सम्पादन: आह्वान (विभागीय पत्रिका) सम्प्रति: भारत सरकार में निरीक्षक पद पर कार्यरत स्थान: कानपुर, मेरठ, रामपुर, मुरादाबाद, नोएडा, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)

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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2024-11-15
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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2024-10-12
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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2024-08-12
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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2023-07-22
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BEST ARTICLE 2023-07-08
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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2023-07-08

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नील पदम् दैनन्दिनी

नील पदम् दैनन्दिनी

रोज रोज रोजनामचा

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57 common.articles

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नील पदम् दैनन्दिनी

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रोज रोज रोजनामचा

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चिन्दियाँ

चिन्दियाँ

चंद शब्दों में बड़ी बातें कहने की कोशिश

90 common.readCount
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चंद शब्दों में बड़ी बातें कहने की कोशिश

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ड्योढ़ी लाँघकर

ड्योढ़ी लाँघकर

मेरी मनपसंद वो कवितायेँ जो मेरे अंतर्मन की ड्योढ़ी लांघकर आप तक पहुँचने के प्रयास में हैं ।

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26 common.articles

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ड्योढ़ी लाँघकर

ड्योढ़ी लाँघकर

मेरी मनपसंद वो कवितायेँ जो मेरे अंतर्मन की ड्योढ़ी लांघकर आप तक पहुँचने के प्रयास में हैं ।

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नील पदम् की डायरी

नील पदम् की डायरी

मन में उमड़ती हुई भावनाओं के समंदर का एक द्वीप

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38 common.articles

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नील पदम् की डायरी

नील पदम् की डायरी

मन में उमड़ती हुई भावनाओं के समंदर का एक द्वीप

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नील पदम् के दोहे

नील पदम् के दोहे

मन में अनायास ही उपजे दोहे

40 common.readCount
91 common.articles

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नील पदम् के दोहे

नील पदम् के दोहे

मन में अनायास ही उपजे दोहे

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नील पदम् की कहानियाँ

नील पदम् की कहानियाँ

अभागा, निशानी, हाथ का बुना स्वेटर, लूट का माल एवं नील पदम् लिखित अन्य कहानियाँ

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नील पदम् की कहानियाँ

नील पदम् की कहानियाँ

अभागा, निशानी, हाथ का बुना स्वेटर, लूट का माल एवं नील पदम् लिखित अन्य कहानियाँ

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अस्तित्व (स्व:अन्वेषण)

अस्तित्व (स्व:अन्वेषण)

अपने अस्तित्व की खोज में एक कदम बढ़ने का आनंद

11 common.readCount
21 common.articles

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अस्तित्व (स्व:अन्वेषण)

अस्तित्व (स्व:अन्वेषण)

अपने अस्तित्व की खोज में एक कदम बढ़ने का आनंद

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भानमती का पिटारा

भानमती का पिटारा

परिचय ज़िंदगी के पथ पर रोजमर्रा के सवाल जबाब से

8 common.readCount
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भानमती का पिटारा

भानमती का पिटारा

परिचय ज़िंदगी के पथ पर रोजमर्रा के सवाल जबाब से

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हरिशंकर की परछाईं

हरिशंकर की परछाईं

हास्य-व्यंग्य की रोचक यात्रा नाटक विधा के रूप में ....... आशान्वित हूँ कि आपको पसंद आएगा

2 common.readCount
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हरिशंकर की परछाईं

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एक अज्ञानी के दो शब्द

एक अज्ञानी के दो शब्द

महान लेखन को पढ़कर मन में कुछ न कुछ घटित अवश्य होता है। मुझे ऐसा विचार आया कि अपने मन के कूप में पड़े रहकर काई लगने से अच्छा है कि मुक्त आकाश में इन मन-घटित को विचरने दें ताकि मेरी मुक्ताकाश में उडती पतँग को देखकर और पतंगे भी पेंग लें और शायद मेरा शब्

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एक अज्ञानी के दो शब्द

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वक़्त की रफ्तार

6 जनवरी 2025
1
0

पृथक समय में वक़्त की, होय पृथक रफ़्तार,  विपत्ति समय धीरे चले,  सुख में झटपट पार ।  (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"                     

रँगा सँसार

6 जनवरी 2025
1
0

भांति-भांति के रंग से,  बना हुआ सँसार,  जैसी नजर से देखिये,  वैसा ले अवतार ।               (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव  "नील पदम्"  

व्यापक दृष्टि

5 जनवरी 2025
1
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दृष्टि को व्यापक रखें, धारण करके मौन,  ऐसे मानुष को भला,  करे पराजित कौन।      (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"              

निन्दक और कुसँग

6 दिसम्बर 2024
1
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निन्दक नियरे राखियो,  रखियो दूर कुसँग,  एक निखारत रंगत तो, दूजा करे  बदरंग। (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"

कार्तिक पूर्णिमा - एकमत पवित्र पर्व

15 नवम्बर 2024
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क्या  हिन्दू  क्या  सिख,  क्या  वैष्णव,  ब्राह्मण,  शैव  और  देवी  के  उपासक, इस  दिन  का सभी के लिए विशेष  महत्त्व  है।  हिन्दू धर्म की सभी मान्यताओं के लिए इस दिन श्रद्धा और विश्वास से भर जाने के लि

चारो धाम

15 नवम्बर 2024
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धूप कहीं उल्लास की,  कहीं दुखोँ की शाम,  जीवन कहीं पे नारकीय, कहीं पे चारो धाम।   (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"                        

साथ

15 नवम्बर 2024
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दिखे साथ में दौड़ता,  ले हाथों में हाथ,  दो दिन में जाय छूट ये,  किस मतलब का साथ।   (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"                         

धूल

15 नवम्बर 2024
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क्या जीवन का अर्थ है,  क्या रिश्तों का मोल, मत धूल पकड़ना हाथ में, छोड़ रतन अनमोल।   (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"                          

संतोष की फ़सल

15 नवम्बर 2024
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मिल जाए सो व्यर्थ है, नहीं मिला वो ध्यान,  गँवा फ़सल संतोष की,  नहीं सुखी इंसान।   (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"                         

जोड़-तोड़

15 नवम्बर 2024
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जोड़-तोड़ बाजीगरी,  है इनकी सबमें होड़,  प्रेम और सदभावना, क्यों बैठे सब छोड़।   (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"                        

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