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उमेश कुमार के बारे में

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उमेश कुमार की पुस्तकें

उमेश कुमार के लेख

इंसान खो गया है !

23 जून 2015
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एक दार्शनिक थे। वह चिंतन में लीन रहते थे। बोलते थे, तो बड़ी गहरी बात कहते थे। इससे लोग उनका बहुत मान-सम्मान किया करते थे। लेकिन कभी-कभी उनकी बातें अजीब-सी होती थीं, और वो स्वयं अपनी ही बातों पर हंसी नहीं रोक पाते थे। एक दिन लोगों ने देखा कि दार्शनिक महोदय हाथ में जलती लालटेन लिए कहीं जा रहे थे। दोप

शराब है ख़राब

12 जून 2015
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संत तिरुवल्लुवर एक बार अपने शिष्यों के साथ कहीं चले जा रहे थे। रास्ते में आने-जाने वाले लोग उनका अभिवादन कर रहे थे। तभी अचानक,एक शराबी झूमता हुआ उनके सामने आया और तनकर खड़ा हो गया। उसने संत तिरुवल्लुवर से कहा, 'आप लोगों से यह क्यों कहते हैं कि शराब घृणित चीज है, मत पिया करो। क्या अंगूर खराब होते है

बेईमान कौन ?

7 जून 2015
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किसी गाँव में एक किसान रहता था। उसके पास एक भैंस थी, जो दूध से दही और मक्खन बना कर बेचने का काम करता था। एक दिन उसकी पत्नी ने उसे मक्खन तैयार करके दिया। वह उसे बेचने के लिए अपने गाँव से शहर की तरफ रवाना हुआ। वे मक्खन गोल-गोल पेड़ों की शक्ल मे बने हुए थे और हर एक पेड़े का वजन एक किलो था। शहर में किसा

सुखदा मणि का राज

29 मई 2015
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बहुत पुरानी बात है। एक संत थे। धर्म में श्रद्धा के कारण वह हमेशा खुश रहते थे। उनके चेहरे से उल्लास टपकता था। एक बार कुछ चोरों ने समझा कि संत के पास कोई बड़ी दौलत है, अन्यथा हर घड़ी इतने प्रसन्न रहने का और क्या कारण हो सकता है? अवसर पाकर चोरों ने संत का अपहरण कर लिया, जंगल में ले गए और बोले, हमने सु

बापू का आत्मबल

23 मई 2015
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एक दिन सेवाग्राम में कुछ पहलवान आ पहुंचे और गांधीजी से अपने दो-चार खेल देख लेने का आग्रह करने लगे। गांधीजी ने कहा, 'एक तो मेरे पास समय नहीं है, दूसरे जो चीज देश के काम नहीं आती, उसे देखने में मेरा मन नहीं लगता। फिर तुम्हें इनाम चाहिए होगा, वह मैं कहां से दूंगा? मेरे पास तुम्हें देने के लिए कुछ नहीं

माँगनेवाला भिखारी

16 मई 2015
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सूफी फकीर फरीद से एक बार उनके गांव के व्यक्ति ने कहा कि गांव में मदरसे की जरूरत है। बादशाह तुम्हारी बात मानते हैं, इसलिए तुम उनसे कहो। फरीद ने कहा कि, ठीक में चला जाउंगा। फरीद सुबह के वक्त गए। उनके लिए कोई रोक-टोक नहीं थी। उन्हें सीधे महल में ले जाया गया। उस समय बादशाह खुदा को याद कर रहा था। और दोन

अनोखे मित्र

8 मई 2015
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एक बार दो मित्र साथ-साथ एक रेगिस्तान में चले जा रहे थे। रास्ते में दोनों में कुछ कहासुनी हो गई। बहसबाजी में बात इतनी बढ़ गई की उनमे से एक मित्र ने दूसरे के गाल पर जोर से तमाचा मार दिया। जिस मित्र को तमाचा पड़ा उसे दुःख तो बहुत हुआ किंतु उसने कुछ नहीं कहा वो बस झुका और उसने वहां पड़े बालू पर लिख दिय

अनोखे मित्र

8 मई 2015
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एक बार दो मित्र साथ-साथ एक रेगिस्तान में चले जा रहे थे। रास्ते में दोनों में कुछ कहासुनी हो गई। बहसबाजी में बात इतनी बढ़ गई की उनमे से एक मित्र ने दूसरे के गाल पर जोर से तमाचा मार दिया। जिस मित्र को तमाचा पड़ा उसे दुःख तो बहुत हुआ किंतु उसने कुछ नहीं कहा वो बस झुका और उसने वहां पड़े बालू पर लिख दिय

कीमती संदूक

22 अप्रैल 2015
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एक बार सिकंदर के पास एक सैनिक अधिकारी आया और उसने एक सुंदर स्वर्ण जड़ित संदूक पेश किया। सिकंदर के पूछने पर उसने बताया कि वह संदूक ईरान में लूट के दौरान मिला है जिसे वह भेंट स्वरूप देना चाहता है। सिकंदर उस संदूक पर की गई नक्काशी देख बहुत प्रभावित हुआ और उसने अपने दरबारियों से पूछा कि संदूक में कौन-क

अखरोट का पेड़

17 अप्रैल 2015
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फारस देश का बादशाह नौशेरवां न्यायप्रियता के लिए विख्यात था। एक दिन वह अपने मंत्रियों के साथ भ्रमण पर निकला। उसने देखा कि एक बगीचे में एक बुजुर्ग माली अखरोट का पौधा लगा रहा है। बादशाह, माली के पास गया और पूछा, 'तुम यहां नौकर हो या यह तुम्हारा बगीचा है? तब उस माली ने कहा कि,'मै यहां नौकरी नहीं करता।

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