सूफी फकीर फरीद से एक बार उनके गांव के व्यक्ति ने कहा कि गांव में मदरसे की जरूरत है। बादशाह तुम्हारी बात मानते हैं, इसलिए तुम उनसे कहो।
फरीद ने कहा कि, ठीक में चला जाउंगा। फरीद सुबह के वक्त गए। उनके लिए कोई रोक-टोक नहीं थी। उन्हें सीधे महल में ले जाया गया। उस समय बादशाह खुदा को याद कर रहा था। और दोनों हाथ उठाकर याचक की तरह परमात्मा से कुछ मांग रहा था।
फरीद तत्काल लौट पड़े। बादशाह की इबादत पूरी हो चुकी थी। किसी ने लौटने पर बादशाह ने पूछा कौन आया था। उत्तर मिला फरीद आकर चले गए हैं। बादशाह ने सोचा आज फरीद खुद चलकर आए हैं तो जरूर कोई खास बात होगी।
वह फरीद के करीब जाकर बोला, मुझसे कुछ भूल हुई है क्या? फरीद ने कहा कि न भूल तुमसे हुए न मुझस। दरअसल मैं तुमसे गांव के लिए एक स्कूल मांगने आया था। लेकिन देखा कि.......... http://thoughtinhindi.blogspot.com/2015/05/blog-post.html