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upadhi of rawat rajput

30 नवम्बर 2016

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ध्यान से पढें रावत समाज युवा जागरण मंच रावत----इतिहास के झरोखे से------ 1382 ई. में दिल्ली के बादशाह इल्तुतमिश मेवाड़ पर आक्रमण करने जा रहे थे।।जिनका पड़ाव दिवेर घाटे में था।। विहलराव ने तम्बू में सो रहे बादशाह की एक मूंछ और बेगम की चोटी काट ली।। बादशाह जब उठा तो इतना भयभीत हो गया कि उसने बेगम से कहा ""शुक्र है हम बच गए वरना जो मूंछ काट सकता है वो हमारी गर्दन भी काट सकता था।। बादशाह मेवाड़ पर आक्रमण करे बिना ही लौट गया।। विहलराव ने मूंछ और चोटी उदयपुर महाराणा जैत्र सिंह के सम्मुख प्रस्तुत करते हुए बताया कि बादशाह भयभीत होकर दिल्ली भाग गया।। तब महाराणा ने विहलराव की प्रशंशा करते हुए उन्हें रावत की उपाधि से सम्मानित किया और साथ ही गढ़बोर (चारभुजा) का राज्य प्रदान किया।। चारभुजा में बरड़ (रावतों) का माताजी का मन्दिर व शीलालेख आज भी विद्यमान है। तब से। विहलराव के वंशज रावत कहलाये जो आज रावत राजपूत कहलाते हैं।।।।। जय भारत। हम है असली राजपूत

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rawat rajput

30 नवम्बर 2016
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रावत-राजपूतों का इतिहासMarch 20·क्षत्रिय रावत राजपुत :~ईतिहासकारों ने " रावत " का संधि विच्छेद ईस प्रकार किया हैं :-रा = राजपुताना,व = वीर औरत = तलवार,अर्थात राजपुताना के बहुधा बलशाली , पराक्रमी क्षत्रिय शूरवीर जो तलवार के धनी हैं, वे रावत राजपुत कहलाते हैं| यह राज्य की ओर से मिली हुई एक पदवी है जो

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upadhi of rawat rajput

30 नवम्बर 2016
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ध्यान से पढेंरावत समाज युवा जागरण मंचरावत----इतिहास के झरोखे से------1382 ई. में दिल्ली के बादशाह इल्तुतमिश मेवाड़ पर आक्रमण करने जा रहे थे।।जिनका पड़ाव दिवेर घाटे में था।। विहलराव ने तम्बू में सो रहे बादशाह की एक मूंछ और बेगम की चोटी काट ली।। बादशाह जब उठा तो इतना भयभीत हो गया कि उसने बेगम से कहा ""श

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soryaprem kavita

2 दिसम्बर 2016
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शीश बोरलो..नासा मे नथड़ी..सौगड़ सोनो सेर कठै,कठै पौमचो मरवण रौ..बोहतर कळियां घेर कठै...!!कठै पदमणी पूंगळ री ..ढोलो जैसलमैर कठै,कठै चून्दड़ी जयपुर री ..साफौ सांगानेर कठै.. !!गिणता गिणता रेखा घिसगी.. पीव मिलन की रीस कठै,ओठिड़ा सू ठगियौड़़ी ..बी पणिहारी की टीस कठै..!!विरहण रातां तारा गिणती.. सावण आवण क

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