विकास भांटी
विकास भांटी एक नए जमाने के हिंदी लेखक हैं, जो मुख्य रूप से थ्रिलर, रहस्य और हॉरर से संबंधित हैं। उन्होंने अब तक 4 पेपरबैक और कुछ किंडल किताबें लिखी हैं और विभिन्न लेखन प्लेटफार्मों के लिए प्रसिद्ध नाम हैं जन्म: 01 अक्टूबर 1985, कानपुर शिक्षा: बुंदेलखंड इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी संस्थान जीवनसाथी: शिल्पी भांटी पिता : प्रतोष चंद्र भांटी माता : कुसुम भांटी भाई-बहन: तृप्ति भांटी, विशाल भांटी प्रारंभिक जीवन और पेशा: प्रारंभिक शिक्षा कानपुर और कोटा में हुई, और इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम BIET झांसी से है। वह स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद से विभिन्न प्रतिष्ठित कंपनियों को अपनी सेवाएं दे रहे हैं। कौशल: लेखन की विधा बचपन से ही मुखर रही है और धीरे-धीरे शौक कला में फैल गया। उनके लेखन में आपको यौवन की अनुभूति होगी, उनकी कहानियों से एक नए भारत की महक स्पष्ट रूप से महसूस की जा सकती है।
खटक
कहते हैं, हर पुरानी इमारत की एक कहानी होती है, उसकी भी थी। दुनिया से लड़कर एक हुए अमन और परी की नई दुनिया इतनी भयानक होगी, किसी ने सोचा भी नहीं था। ब्रिटिश काल के बंगले में आती खटक, निर्माण दोष की वजह से थी या किसी समस्या की आहट...? अच्छा होता अगर व
खटक
कहते हैं, हर पुरानी इमारत की एक कहानी होती है, उसकी भी थी। दुनिया से लड़कर एक हुए अमन और परी की नई दुनिया इतनी भयानक होगी, किसी ने सोचा भी नहीं था। ब्रिटिश काल के बंगले में आती खटक, निर्माण दोष की वजह से थी या किसी समस्या की आहट...? अच्छा होता अगर व
नागलैंड
एक घना जंगल, एक अंजान आदिवासी समूह और रहस्यमयी नागमणि की खोज नागलैंड [प्रतिबंधित क्षेत्र] इस जगह से आगे का क्षेत्र पिञालियों का है। इस सीमा के आगे भारत के राज संविधान और धाराओं के कोई नियम लागू नहीं होते। पिञालियों की अस्मिता को बरकरार रखने के
नागलैंड
एक घना जंगल, एक अंजान आदिवासी समूह और रहस्यमयी नागमणि की खोज नागलैंड [प्रतिबंधित क्षेत्र] इस जगह से आगे का क्षेत्र पिञालियों का है। इस सीमा के आगे भारत के राज संविधान और धाराओं के कोई नियम लागू नहीं होते। पिञालियों की अस्मिता को बरकरार रखने के
किंचुलका - नैनम छिंदंति शस्त्राणि
"पापा, क्या हम राक्षस हैं?" "तो फिर हमारे पूर्वज किंचुलका को किंचुलकासुर क्यों कहते हैं?" भूत, भविष्य और वर्तमान कभी भी एक पटल पर नहीं आने चाहिए, क्योंकि कहते हैं अगर ऐसा हुआ तो प्रकृति जाग जाती है और कभी-कभी प्रकृति को सुसुप्ति से जगाना वीभत्स
किंचुलका - नैनम छिंदंति शस्त्राणि
"पापा, क्या हम राक्षस हैं?" "तो फिर हमारे पूर्वज किंचुलका को किंचुलकासुर क्यों कहते हैं?" भूत, भविष्य और वर्तमान कभी भी एक पटल पर नहीं आने चाहिए, क्योंकि कहते हैं अगर ऐसा हुआ तो प्रकृति जाग जाती है और कभी-कभी प्रकृति को सुसुप्ति से जगाना वीभत्स