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विवश धूप

9 मार्च 2016

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उनका मिलना

जैसे धूप का खिलना 

देता है सुखद अनुभूति ।

जब छंटते हैं धुंधलके

चीरकर अँधेरे को

हट जाती है शिकन

फैलती है मुस्कान

बिखरता है प्रकाश।

मिट जाते हैं 

मतभेद/मनभेद सभी।

लगे खुल जाएगा मौसम

सदा के लिए ;

न अवरोध 

न धुंधलका।

विश्वास जगाती है धूप 

सब साफ़ साफ़ होने का/

उजास होने का।

धूप भी है मगर/

विवश सी; 

चलती है एक ही सीध

और

दाएं बाएँ रह जाते  हैं /

बहुत से कोने अँधेरे।


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विवश धूप

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उनका मिलनाजैसे धूप का खिलना देता है सुखद अनुभूति ।जब छंटते हैं धुंधलकेचीरकर अँधेरे कोहट जाती है शिकनफैलती है मुस्कानबिखरता है प्रकाश।मिट जाते हैं मतभेद/मनभेद सभी।लगे खुल जाएगा मौसमसदा के लिए ;न अवरोध न धुंधलका।विश्वास जगाती है धूप सब साफ़ साफ़ होने का/उजास होने का।धूप भी है मगर/विवश सी; चलती है एक ही

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