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फिर एक बार

9 मार्च 2016

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फिरएक बार फिर

मैं दुखी हो जाता हूं 
जब याद आते हैं
 तुम्हारी आंखों से गिरते 
वे दो आंसू 
मुझे याद है 
तुम्हारा मुझसे सीट मांगना
 मेरे पास बैठना
 और वह पल /जब लगा था मुझे
 शायद जानता हूं 
मैं तुम्हें कई जन्मों से
 फिर तुमने कहा था मुझसे
 खिड़की के पास तुम्हें बिठाने को 
और मैंने कहा था तुम्हें 
शीशे के नीचे से बाजू हटाने को 
बड़ी मासूमियत से तुम्हारा मुझसे
 वह 'टाइम 'पूछना
 मुझे अब भी याद है 
मुझे याद है तुम्हारा
 मेरे कंधे पर सिर रखना
 और लजाती झुकती 
तुम्हारी प्यार भरी वह नजर
 न जाने क्यों /फिर भी
 पूछा नहीं था मैंने/
 नाम भी तुम्हारा /तुमसे 
पूछता भी क्यों 
हम तो जानते थे /
एक दूसरे को तब से 
मनुष्यों ने जब/ सीखा ही नहीं था 
नाम रखना
 मुझे याद है
 सीपियों की लड़ी-से 
सुंदर तुम्हारे दांत /
तुम्हारी सांसें /जो/
बिखेर रही थीं /ताज़गी हर ओर 
तुम्हारी आंखों की चमक
 कर रही थी आलोकित 
इस ब्रह्माण्ड  को 
तुम्हारे चेहरे पर झलकता प्रेम 
कर रहा था मोहित मुझे
 तुम्हारी मुस्कान /
मधुर आवाज़ 
तुम्हारी सुगंध 
रस घोल रही थी मेरी सांसो में 
क्या हुआ था/ फिर अचानक
 जो तुम्हारे कोमल गालों पर
 ढलक आए थे दो आंसू
मुझे याद है 
तुमने /कोई कारण नहीं बताया था 
इन अमूल्य मोतियों के 
इस तरह बह जाने का 
बस यही बात थी तुम्हारी
 जो नहीं जान सकता था मैं 
क्योंकि 
अब अलग अलग हो चुके थे
 हम दोनों के मन मस्तिष्क के
मुझे याद है 
तुम बैठी रही थीं 
मेरे उतर जाने पर भी 
मैं करता रहा था प्रतीक्षा 
और / चली गई थी/
 बस में / तुम मेरे सामने
 मैं देखता रह गया था/ लाचार
 तुम्हें स्वयं से दूर होते हुए 
एक बार फिर 
मुझे याद है युगों पहले
 मिला था शाप हमें 
एक दूसरे एक से दो जिस्मों में 
बंटने का/ और भटकने का
 एक दूसरे की तलाश में
 और आज शुरू हो गई है 
शायद /फिर वही तलाश 
न जाने कब /किस युग में 
खत्म होगी 
और इसी क्षणिक मिलन के बाद 
फिर /किसी युग में होगी 
शुरू /वही तलाश

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9 मार्च 2016
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फिरएक बार फिरमैं दुखी हो जाता हूं जब याद आते हैं तुम्हारी आंखों से गिरते वे दो आंसू मुझे याद है तुम्हारा मुझसे सीट मांगना मेरे पास बैठना और वह पल /जब लगा था मुझे शायद जानता हूं मैं तुम्हें कई जन्मों से फिर तुमने कहा था मुझसे खिड़की के पास तुम्हें बिठाने को और मैंने कहा था तुम्हें शीशे के नीचे से बाज

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विवश धूप

9 मार्च 2016
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उनका मिलनाजैसे धूप का खिलना देता है सुखद अनुभूति ।जब छंटते हैं धुंधलकेचीरकर अँधेरे कोहट जाती है शिकनफैलती है मुस्कानबिखरता है प्रकाश।मिट जाते हैं मतभेद/मनभेद सभी।लगे खुल जाएगा मौसमसदा के लिए ;न अवरोध न धुंधलका।विश्वास जगाती है धूप सब साफ़ साफ़ होने का/उजास होने का।धूप भी है मगर/विवश सी; चलती है एक ही

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