shabd-logo

common.aboutWriter

विगत सोलह वर्षा से अनवरत लेखन। जिनमें लघु कथाएं, उपन्यास, ड्रामे, टेलीफिल्मस, टीवी सीरियल इत्यादि शामिल हैं। विज्ञान कथाएं ( साइंस फिक्शन ) व हास्य लेखन में विशेष रूचि। प्रकाशित पुस्तकों में 'प्रोफेसर मंकी' व 'कम्प्यूटर की मौत'. विज्ञान कथा संग्रह हैं, 'बुड्ढा फ्यूचर' विज्ञान कथा नाटक है. साथ ही थियोलोजी से सम्बन्धित दो पुस्तकें 'खुदा का वजूद और साइंस की दलीलें' व '51 जदीद साइंसी तहक़ीकात' भी प्रकाशित। दो उपन्यास 'ताबूत' व 'मौत की तरंगें' विज्ञान कथा पत्रिका में धारावाहिक रूप में प्रकाशित।पचास से अधिक कहानियां देश की प्रमुख पत्र पत्रिकाओं विज्ञान प्रगति, विज्ञान कथा, सरिता, आविष्कार, विज्ञान, इलेक्ट्रानिकी आपके लिए इत्यादि में प्रकाशित। कई कहानियां बंगाली, मराठी व गुजराती इत्यादि भाषाओं में अनुदूदित।मंचित नाटकों में प्रमुख हैं - उठाये जा सितम, पानी कहाँ हो तुम, बहू की तलाश, चोर चोरमौसेरे, हाय ये मैली हवा, ये है डाक्टरी वर्कषाप, ये दिल माँगे पॉप, कहानी परलोक की, हाजिरहो, सौ साल बाद,माडर्न हातिमताई, अकबर की जोधा, ऊंची टोपी वाले, पागल बीवी का महबूब,बुड्ढा फ्यूचर इत्यादि जिनमें अंतिम तीन विज्ञान कथात्मक हैं।लेखन के क्षेत्र में आईसेक्ट भोपाल द्वारा डा0सी0वी0रमन पुरस्कार से सम्मानित, संवाद डाटकॉम की ओर से संवाद सम्मान तथा ‘सलाम लखनऊ’ की ओर से ‘मुसन्निफे अवध सम्मान’प्राप्त। ऋचा प्रकाशन की ओर से साहित्य भूषण की उपाधि।सम्प्रति : एरा मेडिकल कालेज में व्याख्याता एवं स्वतन्त्र टीवी व फिल्म स्क्रिप्ट लेखन।

no-certificate
common.noAwardFound

common.books_of

sciencefiction

sciencefiction

हिंदी साइंस फिक्शन की दुनिया में आपका स्वागत है. इस ब्लॉग पर आप ज़ीशान ज़ैदी<span style="color:

निःशुल्क

sciencefiction

sciencefiction

<p><strong><span style="font-family: arial; font-size: small;"><span style="color: rgb(0, 0, 153);">हिंदी साइंस फिक्शन की दुनिया में आपका स्वागत है. इस ब्लॉग पर आप&nbsp;</span><span style="color: rgb(255, 0, 0);">ज़ीशान ज़ैदी</span><span style="color:

निःशुल्क

common.kelekh

अपनी दुनिया से दूर (दूसरा अंतिम भाग)

12 जुलाई 2016
0
0

‘‘लेकिन तुम मुझे सम्राट से क्यों मिलाना चाहती हो?’’ शीले ने एक मशीन पर झुकते हुए पूछा। इस समय वह अपनी लैब में मौजूद था और ज़ारा भी उसके साथ थी। ‘‘दरअसल हमने सम्राट को गलत समझा। जब मैंने सम्राट से तुम्हारे बारे में बताया और कहा कि मैं तुमसे प्यार करती हूं तो वह बहुत खुश हुए और कहा कि मैं किसी को ज़बर

अपनी दुनिया से दूर (भाग-एक )

10 जुलाई 2016
0
0

----जीशान हैदर जैदी उसकी खूबसूरती सितारों को मात दे रही थी। उसके चेहरे पर वो कशिश थी कि नज़र एक बार पड़ने के बाद हटना गवारा नहीं करती थी। पूरे पाँच सौ लोगों की भीड़ में हर व्यक्ति उसी को घूर रहा था। लेकिन खुद उसकी निगाहें किसको ढूंढ रही हैं, यह किसी को मालूम नहीं था।‘‘एक्सक्यूज़ मी, क्या आप मेरे साथ

नक़ली जुर्म (कहानी) - तीसरा अंतिम भाग

27 जून 2016
1
0

''मेरे पास इसके अलावा और कोई चारा नहीं था। मैं उससे प्यार करता था और वह मयंक के पीछे दीवानी थी। इसलिए मैंने अपनी यह मशीन उसके ऊपर आज़माने का फैसला किया।"''लेकिन यह मशीन काम कैसे करती है?"''एक ऐसी हक़ीक़त जिसकी तरफ बहुत कम लोगों का ध्यान जाता है, वह ये कि जिसे हम बाहरी दुनिया के तौर पर देखते व महसूस

नक़ली जुर्म (कहानी) - भाग 2

26 जून 2016
0
0

डा0प्रवीर चुप होकर उसकी प्रतिक्रिया का इंतिज़ार कर रहा था। फिर माहम ने हिम्मत करके बोलने का फैसला किया, ''सर, एक्चुअली मैंने कभी आपको इस नज़र से नहीं देखा। ''तो अब देख लो। क्या बुराई है।" इस बार डा0प्रवीर ने नार्मल लहजे में कहा। माहम की हिम्मत थोड़ी और बंधी और उसने आगे कहा, ''सर। एक्चुअली मैं एक लड़

नक़ली जुर्म (कहानी) - भाग 1

25 जून 2016
2
0

---- ज़ीशान हैदर ज़ैदी एस.टी.आर. कालेज न केवल शहर का बल्कि देश का जाना माना इंजीनियरिंग कालेज है। उसकी क्वालिटी का चरचा इतना ज्यादा है कि देश भर के छात्र उसमें एडमीशन लेने के सपने देखते हैं और आर्थिक रूप से सक्षम लोग वहाँ बड़े से बड़ा डोनेशन देने को तैयार रहते हैं। यहाँ के शिक्षक जब किसी को बताते हैं

विज्ञान कथा परिवर्तन : दूसरा व अन्तिम भाग

20 जून 2016
1
0

एकाएक उसके दिमाग में एक विचार आया और उसकी ऑंखें चमकने लगीं. उसने एक बार फ़िर मृतक की तलाशी लेनी शुरू कर दी, और जल्दी ही उस व्यक्ति की भीतरी जेब से उसे सिक्के के आकार की एक माइक्रोचिप मिल गई. ये चिप दरअसल किसी भी महत्वपूर्ण व्यक्ति के जिस्म का अनिवार्य अंग होती थी. उस व्यक्ति का समस्त पिछला रिकॉर्ड ,

विज्ञान कथा परिवर्तन : भाग - 1

19 जून 2016
1
0

लेखक - जीशान जैदी बेरोज़गारी के धक्कों ने उसे बेहाल कर दिया था. दो दिन से उसके पेट में एक दाना भी नहीं गया था. मीठे पानी को तो वह बहुत दिन से तरस रहा था, क्योंकि पानी अब बहुराष्ट्रीय कंपनियों की संपत्ति हो चुका था. समुन्द्र का खारा पानी वह किसी तरह पी रहा था. ग्लोबल वार्मिंग की वजह से समुन्द्र में न

---

किताब पढ़िए