ज़ीशान ज़ैदी
विगत सोलह वर्षा से अनवरत लेखन। जिनमें लघु कथाएं, उपन्यास, ड्रामे, टेलीफिल्मस, टीवी सीरियल इत्यादि शामिल हैं। विज्ञान कथाएं ( साइंस फिक्शन ) व हास्य लेखन में विशेष रूचि। प्रकाशित पुस्तकों में 'प्रोफेसर मंकी' व 'कम्प्यूटर की मौत'. विज्ञान कथा संग्रह हैं, 'बुड्ढा फ्यूचर' विज्ञान कथा नाटक है. साथ ही थियोलोजी से सम्बन्धित दो पुस्तकें 'खुदा का वजूद और साइंस की दलीलें' व '51 जदीद साइंसी तहक़ीकात' भी प्रकाशित। दो उपन्यास 'ताबूत' व 'मौत की तरंगें' विज्ञान कथा पत्रिका में धारावाहिक रूप में प्रकाशित।पचास से अधिक कहानियां देश की प्रमुख पत्र पत्रिकाओं विज्ञान प्रगति, विज्ञान कथा, सरिता, आविष्कार, विज्ञान, इलेक्ट्रानिकी आपके लिए इत्यादि में प्रकाशित। कई कहानियां बंगाली, मराठी व गुजराती इत्यादि भाषाओं में अनुदूदित।मंचित नाटकों में प्रमुख हैं - उठाये जा सितम, पानी कहाँ हो तुम, बहू की तलाश, चोर चोरमौसेरे, हाय ये मैली हवा, ये है डाक्टरी वर्कषाप, ये दिल माँगे पॉप, कहानी परलोक की, हाजिरहो, सौ साल बाद,माडर्न हातिमताई, अकबर की जोधा, ऊंची टोपी वाले, पागल बीवी का महबूब,बुड्ढा फ्यूचर इत्यादि जिनमें अंतिम तीन विज्ञान कथात्मक हैं।लेखन के क्षेत्र में आईसेक्ट भोपाल द्वारा डा0सी0वी0रमन पुरस्कार से सम्मानित, संवाद डाटकॉम की ओर से संवाद सम्मान तथा ‘सलाम लखनऊ’ की ओर से ‘मुसन्निफे अवध सम्मान’प्राप्त। ऋचा प्रकाशन की ओर से साहित्य भूषण की उपाधि।सम्प्रति : एरा मेडिकल कालेज में व्याख्याता एवं स्वतन्त्र टीवी व फिल्म स्क्रिप्ट लेखन।
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