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sciencefiction

ज़ीशान ज़ैदी

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हिंदी साइंस फिक्शन की दुनिया में आपका स्वागत है. इस ब्लॉग पर आप ज़ीशान ज़ैदी द्वारा लिखित हिंदी विज्ञान कथाओं का आनंद लेंगे। साथ ही यहां भारतीय (हिंदी) विज्ञान कथाओं से सम्बंधित समाचार, लेख व परिचर्चाओं को भी आप समय समय पर पढ़ सकते हैं.  

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पुस्तक के भाग

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विज्ञान कथा परिवर्तन : भाग - 1

19 जून 2016
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लेखक - जीशान जैदी बेरोज़गारी के धक्कों ने उसे बेहाल कर दिया था. दो दिन से उसके पेट में एक दाना भी नहीं गया था. मीठे पानी को तो वह बहुत दिन से तरस रहा था, क्योंकि पानी अब बहुराष्ट्रीय कंपनियों की संपत्ति हो चुका था. समुन्द्र का खारा पानी वह किसी तरह पी रहा था. ग्लोबल वार्मिंग की वजह से समुन्द्र में न

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विज्ञान कथा परिवर्तन : दूसरा व अन्तिम भाग

20 जून 2016
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एकाएक उसके दिमाग में एक विचार आया और उसकी ऑंखें चमकने लगीं. उसने एक बार फ़िर मृतक की तलाशी लेनी शुरू कर दी, और जल्दी ही उस व्यक्ति की भीतरी जेब से उसे सिक्के के आकार की एक माइक्रोचिप मिल गई. ये चिप दरअसल किसी भी महत्वपूर्ण व्यक्ति के जिस्म का अनिवार्य अंग होती थी. उस व्यक्ति का समस्त पिछला रिकॉर्ड ,

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नक़ली जुर्म (कहानी) - भाग 1

25 जून 2016
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---- ज़ीशान हैदर ज़ैदी एस.टी.आर. कालेज न केवल शहर का बल्कि देश का जाना माना इंजीनियरिंग कालेज है। उसकी क्वालिटी का चरचा इतना ज्यादा है कि देश भर के छात्र उसमें एडमीशन लेने के सपने देखते हैं और आर्थिक रूप से सक्षम लोग वहाँ बड़े से बड़ा डोनेशन देने को तैयार रहते हैं। यहाँ के शिक्षक जब किसी को बताते हैं

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नक़ली जुर्म (कहानी) - भाग 2

26 जून 2016
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डा0प्रवीर चुप होकर उसकी प्रतिक्रिया का इंतिज़ार कर रहा था। फिर माहम ने हिम्मत करके बोलने का फैसला किया, ''सर, एक्चुअली मैंने कभी आपको इस नज़र से नहीं देखा। ''तो अब देख लो। क्या बुराई है।" इस बार डा0प्रवीर ने नार्मल लहजे में कहा। माहम की हिम्मत थोड़ी और बंधी और उसने आगे कहा, ''सर। एक्चुअली मैं एक लड़

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नक़ली जुर्म (कहानी) - तीसरा अंतिम भाग

27 जून 2016
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''मेरे पास इसके अलावा और कोई चारा नहीं था। मैं उससे प्यार करता था और वह मयंक के पीछे दीवानी थी। इसलिए मैंने अपनी यह मशीन उसके ऊपर आज़माने का फैसला किया।"''लेकिन यह मशीन काम कैसे करती है?"''एक ऐसी हक़ीक़त जिसकी तरफ बहुत कम लोगों का ध्यान जाता है, वह ये कि जिसे हम बाहरी दुनिया के तौर पर देखते व महसूस

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अपनी दुनिया से दूर (भाग-एक )

10 जुलाई 2016
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----जीशान हैदर जैदी उसकी खूबसूरती सितारों को मात दे रही थी। उसके चेहरे पर वो कशिश थी कि नज़र एक बार पड़ने के बाद हटना गवारा नहीं करती थी। पूरे पाँच सौ लोगों की भीड़ में हर व्यक्ति उसी को घूर रहा था। लेकिन खुद उसकी निगाहें किसको ढूंढ रही हैं, यह किसी को मालूम नहीं था।‘‘एक्सक्यूज़ मी, क्या आप मेरे साथ

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अपनी दुनिया से दूर (दूसरा अंतिम भाग)

12 जुलाई 2016
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‘‘लेकिन तुम मुझे सम्राट से क्यों मिलाना चाहती हो?’’ शीले ने एक मशीन पर झुकते हुए पूछा। इस समय वह अपनी लैब में मौजूद था और ज़ारा भी उसके साथ थी। ‘‘दरअसल हमने सम्राट को गलत समझा। जब मैंने सम्राट से तुम्हारे बारे में बताया और कहा कि मैं तुमसे प्यार करती हूं तो वह बहुत खुश हुए और कहा कि मैं किसी को ज़बर

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