"नई पुरुवाई"धूम-धाम से झिनकू भैया के सुपुत्र की शादी हुई और पढ़ी लिखी आधुनिक परिवेष में रची पगी बहू का लक्ष्मी स्वरूपा पाँव घर की देहरी के भीतर विधि विधान से अपना छाप छोड़ता हुआ साफ सुथरे आँगन बिछलाने लगा। सासु जी सुंदर बहू के मुँह दिखाई में तल्लीन हो गईं और गाँव की गलियों में तरह-तरह की कंफुन्सी एक ख