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मै महातम मिश्रा, गोरखपुर का रहने वाला हूँ, हाल अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ |

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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2022-07-02

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"दोहा"

2 जुलाई 2022
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"दोहा" योग शत्रु है रोग का, कर लो सुबहो शाम प्रकृति प्रदत्त औषधि भली, और भला व्यायाम।।  प्रतिदिन हाथ चलाइये, पाँव न छोड़े काम।  क्रोध त्याग संस्कार भर, भला करेंगे राम।।  महातम मिश्र गौतम गो

"गीतिका"

2 जुलाई 2022
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शुभप्रभात मित्रों........  "गीतिका " गद्य लिखूं या पद्य लिखूं कुछ समझ न आता मितवा।  खुद को समझूँ या समझाऊँ समझ न आता मितवा।  चली राह है सोच समझकर पर सब कहें अनाडी- उनकी राह पकड़ कर देखी समझ न

"झिंनकू भैया का सौभाग्य"

2 जुलाई 2022
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"झिनकू भैया का सौभाग्य" गजब के आदमी हैं झिनकू भैया भी। कभी धर्म, कभी समाज, कभी महंगाई, कभी जाति-पाति तो कभी किसी राजनीतिक पार्टी का झंडा थामें चौराहे चौराहे मनमनाते रहते हैँ। सर्वगुण सम्पन्ना हैं,

"कुंडलिया"

2 जुलाई 2022
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"कुंडलिया" पैसठ दिन औ तिन सौ, एक वर्ष का माप।  प्रतिपल अपने पुत्र को, प्रेम पिलाता बाप।।  प्रेम पिलाता बाप, मार कर इच्छा सारी।  सब कुछ लेकर यार, चला मत मीठी आरी।।  इक दिन में मत बांध, पिता को '

"कुंडलिया"

2 जुलाई 2022
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"कुंडलिया" लिक्खा है वो वांच मत, सोच समझ कर बोल।  बहुत पुरानी बात है, दुनियाँ  है ही गोल।।  दुनियाँ है ही गोल, तोल की दशा निराली। कब मुँह का आशीष, समझ ले मजमा गाली।।  'गौतम' घिरी जमीन, पचा ले म

"कुंडलिया"

2 जुलाई 2022
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"कुंडलिया" धीरज धरु जनि मोड़ मुख, हे भारत के वीर।  सुखदायक है अग्निपथ, जस गंगा तट नीर।।  जस गंगा तट नीर, तीर अर्जुन धनु सोहे।  दुर्योधन की पीर, चीर श्री कृष्णा मोहे।।  'गौतम' कर्म महान, न आपा ख

"पद"

2 जुलाई 2022
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मंच मित्रों को निवेदित पद....... जय माँ शारदा!  "पद" मनवा अजहु न मानत साथी तगड़ा पैकल ले के भागत, जस बौरानी हाथी।  सात समंदर छन में पारे, छन में लहर थिराती।।  तोता उल्लू या मनु काया, मन पर

"चलो, प्लास्टिक का पहाड़ बनायें"

2 जुलाई 2022
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"चलो, प्लास्टिक का पहाड़ बनाएं " चलो, प्लास्टिक का पहाड़ बनाएँ। जिसपर फलदार, फूलदार और पत्तिदार वृक्ष लगाएँ। रंग बिरंगी पुष्प देवालय पर चढ़ाएँ, बाजार सजाएँ, व्यापार बढ़ाएँ। देश के विकास के लिए क

"कुंडलिया"

2 जुलाई 2022
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"कुंडलिया" आए दिन अब हो रहे, झगड़े और विवाद।  रिश्ते नाते लड़ रहे, बजा बजाकर नाद।।  बजा बजाकर नाद, खाद भरपूर छिड़कते।  पहुँचाते हैं चोट, हाथ औ पैर पटकते।।  गौतम घटी जमीन, नापते दायें बायें।  ब

"कुंडलिया"

2 जुलाई 2022
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"कुंडलिया" बड़का पियरा शरहरा, नहीं रहे वो आम।  राही छक कर खा गए, बिना मोल बिनु दाम।।  बिना मोल बिनु दाम, भदोही और सेनुरिया।  लहसुनिया सा स्वाद, न पाया फिरा बजरिया।।  'गौतम' तबके बाग, खिलाते देश

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