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"नेवता की बानगी"

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"नेवता की बानगी" आज लपलपाती गर्मी में, तपती दोपहरी में, धूँआ सुलगाती सड़क के किनारें पसीना पोछते हुए झिनकू भैया दिख गए। ताज्जुब हुआ, जो आदमी ठण्ड की दोपहरी में छाता लगाकर चलता हो, वह कड़कती लू में घर से बाहर कैसे निकल गया। बाइक मोड़कर उनके पास वापस हुआ, हेल्मेट हटाया और अपन

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