छंद - मोदक (वार्णिक) शिल्प विधान --भगण ×४ मापनी २११ २११ २११ २११“गीत” भाव लिखो जब आप सभी जन मान गुमान विचार लियो मन ठेस लगे न कलेश भरे जियसुंदर शब्द खिले रचना प्रिय॥गागर सागर चातक नागरपातरि देह सबे गुण आगर सावध बोल हिया न लगे उठ आपुहि आप पिया न चले रुठ॥ गौतम पाहुन आय गया