“गीतिका”आओ मेरे सूरज तुमको गले लगा लूँ रोशन कर दो छाया दिल के दिये जला लूँ दूरी जहमत कितनी तुमसे छुपी नहीं हैवादा तुमने किया निशा को प्रिये जगा लूँ ॥ देखो अवनी पुलक रही हरियाली लेआतुर है उन्माद विरह न बढ़े बुझा लूँ॥ लगे हाथ उम्मीदों को उठा रही हूँ एक कदम की बात कदम चले चला