5 मई 2017
मुक्तक............. “हँसना मना है” सरल आसान स्वभाव बहूता परिचय कहत पाँव कर जूता सुखकर हितकर सहज सरुपा हाथ फिरे तो भागत भूता॥ नाप तोल नर नंबर धारी पहिने दूजा चितवत चारी धरें उतार सहज घर आगे बदले आभूषण नर नारी॥ महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी