मापनी- २२२१ २२१२ २..... “मुक्तक” रहती है खुशी किस गली मेंखिलते हैं पुष्प भी कली मेंकोई तो बताए वो खिली क्याचहकी क्या हँसके भल भली में॥-१ कहते हैं अभी वो नदां हैफूलों में दिखी जो जुदा हैआमोदी लगी सुख भरी सी जिन मन में दया वो खुदा हैं॥-२ महातम मिश्र ‘गौतम’ गोरखपुरी