shabd-logo

2-  ओ मेरे मन के खंडहर

7 नवम्बर 2022

6 बार देखा गया 6
empty-viewयह लेख अभी आपके लिए उपलब्ध नहीं है कृपया इस पुस्तक को खरीदिये ताकि आप यह लेख को पढ़ सकें
23
रचनाएँ
मन की मुंडेर पर
0.0
प्रिय पाठको हमारी पुस्तक 'मन कि मुंडेर पर', एक काव्य संग्रह है। जिसमें मन कि मुंडेर पर समेत अन्य कवितायें भी हैं। मन कि मुंडेर पर काव्य संग्रह में किसी मात्रा या मीटर की कोई पाबन्दी नहीं है। इसमें सिर्फ मेरे अन्तर मन में आईं हुयीं बातों को काव्य का रूप दे दिया है। जिसमें हिन्दी के तत्सम तद्भव एवं ऊर्दू शब्दों का भी प्रयोग किया गया है। मैं आशा करता हूँ कि आप को हमारी कवितायें पसन्द आयेंगी आपका बहुत - बहुत आभार।
1

कथन

7 नवम्बर 2022
3
1
0

"यह अलग बात है कि ज़िन्दगी जीने के लिए कुछ करना पड़ता है। लेकिन जो व्यक्ति काम समय पर करता है उसका साथ ज़िन्दगी उम्र भर देती है" । सुदेश पाल सिंह                 कवि सम्मेलन और मुशायरों के लिए       

2

1- मन की मुंडेर पर

7 नवम्बर 2022
1
1
0

जीवन में आयेगें संघर्ष, लग जाये भले देर पर। बैठा है एक ख़्वाब मेरे मन कि मुंडेर पर ।।ख़्वाब बहुत ये अच्छा है,मेरे मन का सच्चा है ।गुजर न जाये रात कहीं ये,बिगड़ न जाये बात कहीं ये।कोई हलचल न हो जाए, न

3

2-  ओ मेरे मन के खंडहर

7 नवम्बर 2022
0
1
0

जब आशायें मिट जाती हैं, सब बाजी भी पिट जातीं हैं।हर ओर अंधेरे छा जाते हैं, काले साये डर पाते हैं ।तब दिल कहता है कुछ कर, ओ मेरे मन के खंडहर ।।रूठा रूठा ये तन है,जानें कहाँ जीवन है। आँख़ें भी तरसती हैं

4

3-  सूखे पत्ते

7 नवम्बर 2022
0
1
0

डाल पर लगे थे, तो हम कितने अच्छे थे। डाल से जो टूटे तो फिर सूखे पत्ते ।।हरे-भरे पत्तों का मेरा एक नगर था।जानें कितनी चिड़ियों का मेरी डाल पर घर था।। ठण्डी - ठण्डी वायु के झोंके से झुक जाते। और सुबह की

5

4- मैं शायर हूँ लिखना नहीं छोडूंगा

7 नवम्बर 2022
0
1
0

चाहें तुम मुझे कितना भी घिस दो।मैं हीरा हूँ चमकना नहीं छोडूंगा । ।और जुगनू तेरा दुश्मन उजाला है। रात आने दे दमकना नहीं छोडूंगा । ।चाहें मेरे पथ में कितने भी रोड़े आयें। मैं मुशाफिर हूँ चलना नहीं छोडूं

6

5- बदलना था तो इतना बदलते

7 नवम्बर 2022
0
0
0

बदलना था तो इतना बदलतेखिड़की बदलते, किबाड़े बदलते परदे बदलते, पर घर न बदलते।बदलना था तो इतना बदलते।।बदलना था तो इतना बदलते खुद को बदलते, उनको बदलते,सबको बदलते, पर दिल न बदलते।बदलना था तो इतना बदलते ।।ब

7

6- मेरी तन्हाई

7 नवम्बर 2022
0
1
0

कितनी खामोशियां हैं मुझमें समाई ? मै और मेरी तन्हाई।तन्हा मन तू ये क्या करता है? । बस दिन भर आहें भरता है ।। खाली खाली रहने से क्या होगा?। जो करना है बस करना होगा।।जीवन इतना सरल नहीं है, जीवन का दुःख

8

7-  अकेला है आदमी

7 नवम्बर 2022
0
1
0

वक्त के बदलाव में, विज्ञान के बहाव में,तरक्की की खोज में, पैसे की चाह में, अकेला है आदमी।जिन्दगी उदास है, भूख है न प्यास है। गमों के बदलों से, आँसुओं की बरसात है ।। रुसवाई के घाव से, सुनसान राहों में,

9

8-  ज़िन्दगी

7 नवम्बर 2022
0
1
0

यूँ ही सबकी गुजर रही है, ज़िन्दगी । हंस कर या रोकर चल रही है, ज़िन्दगी ।।चादर ओढ़ने से नींद कहाँ आयेगी? जब तक न होगी सुकूँन में, ज़िन्दगी ।।गरीबो तुम्हारा ठिकाना है ये, दुःख से कटेगी, सारी ज़िन्दगी ।।

10

9- ख़ुद ही

7 नवम्बर 2022
0
1
0

ढूँडेगा अपना मुकाम ख़ुद ही । करना पडेगा यह काम ख़ुद ही ।।न मिल सकेगी उसे रौशनी । बुझा दे पतिंगा दिए तमाम खुद ही ।।जो सूरज निकलने से पहले न जागे ।करेंगे वो जीवन में अपनी शाम खुद ही ।।जो मेहनत करके मुका

11

10- किनारा मुश्किल है

7 नवम्बर 2022
0
1
0

डगर हम रोज चलते हैं, पर अभी किनारा मुश्किल है।मेरे महबूब तेरे दामन से, अब जाना मुश्किल है।।लगी है आग सीने में, तुम्हारी बात को लेकर ।                   कितने भी जतन कर लो, इसे बुझाना मुश्किल है ।।मरहम

12

11- पुराने ज़माने कौन देगा

7 नवम्बर 2022
0
1
0

चाहत के पुराने ज़माने कौन देगा। बागो में खेलने के नज़ारे कौन देगा ||बना तो सकते हो ऊँचे-ऊंचे मकान लेकिन। मिट्टी की खुशबू वाले घराने कौन देगा।।जब ज़र्रे - जर्रे में बोए हैं नफरत के बीज ।तो मोहब्बत के प

13

12- है जो मंजूर तो वही होगा

7 नवम्बर 2022
0
1
0

है जो मंजूर तो वही होगा । लिखा है उसने तो सही होगा।। तभी होगा सही जब चाहेंगा वो ।तेरे करने से कुछ नहीं होगा ।।अपनी बात का पाबन्द है वो शख़्स ।मेरा वादा है कि वो वहीं होगा ।।जोड़ियाँ वो अपनी मर्जी से बन

14

13-  तुम करो साबित

7 नवम्बर 2022
0
1
0

मोहब्बत तुम करो साबित | बगावत तुम करो साबित ||सजा वो मुकम्मल करेगा। गुनाह तुम करो साबित।।वेबफाई उसको करने दो। वफ़ा तुम करो साबित ॥बुराई मुझमें है तो रहने दो। भलाई तुम करो साबित।।शरारती है वो चलो माना

15

14- वे सहारे को सहारा चाहिए

7 नवम्बर 2022
0
1
0

वे सहारे को सहारा चाहिए,मुझे वो शख़्स दुबारा चाहिए।थक चुका हूँ चलते-चलते अब, मुझे इस भबर का किनारा चाहिए।जहाँ पर रोटी कपड़ा मकान मिल सके, इस गरीब को तो ऐसा गुजारा चाहिए ।15- नजर जैसी होगी जहाँ वैसा दि

16

15- नजर जैसी होगी जहाँ वैसा दिखाई देगा

7 नवम्बर 2022
0
1
0

ज़मीन से ऊपर देखो, आसमां दिखाई देगा। नजर जैसी होगी, जहाँ वैसा दिखाई देगा ||तरक्की करने सब शहर चल दिये हैं, गांव में तो बस, पुराना मकान दिखाई देगा ||जहाँ इतने लोग हैं, ज़मीन कम पड़ गई। पर जिसे देखो यहा

17

16- चाहत में नजाकत कैसी

7 नवम्बर 2022
0
1
0

चाहा है तो चाहत में नजाकत कैसी। मोहब्बत में किसी से बगावत कैसी ।।अन्दर से हमारे खिलाफ हैं वो । फिर चहरे से इतनी सराफत कैसी ॥मानवता के मन्दिर में चिराग तक न जलाया। फिर ईश्वर के मन्दिर में इबादत कैसी ।।

18

17-  मौन रहने दे

7 नवम्बर 2022
0
1
0

झूठी बातें चलती हैं, सच्ची बात कौन कहने दे?। अच्छा यही होगा कि, तू अब मुझे मौन रहने दे।।अपनी बात बताऊँगा, तो लोग उपहास बनायेंगे।न कुछ करने देगें, और न ही कुछ कर पायेंगे ।।कोशिश का विश्वास जगत में, झूठ

19

18- मैं अपनी आंखों की कद्र करता हूँ

7 नवम्बर 2022
0
1
0

मैं अपनी आंखों की कद्र करता हूँ। यही हैं, जो मेरा गम बता देतीं हैं ।।ये दिल तो दर्द छुपानें में लगा है। धड़कनें हैं जो, सब सुना देतीं हैं ।।सबको नहीं मिलता कश्ती से किनारा। ये बहके हुए मुशाफिर को डुबा

20

19- जी हाँ मैं गीत लिखता हूँ

7 नवम्बर 2022
0
1
0

जो बंजर खेत में बीज उगा दे, जो रूठे प्रियतम को मना दे, जो दिल की नफरत को मिटा दे, जो बिछड़े परिन्दों को मिला दे, मैं ऐसी प्रीत लिखता हूँ। जी हाँ मैं गीत लिखता हूँ ।।मीरा की सी भक्ति होगी, जो कृष्ण भक्त

21

20- फूलों तुम्हारा खिल जाना क्या है?

7 नवम्बर 2022
0
1
0

फूलों तुम्हारा खिल जाना क्या है? । खिल के फिर मुरझाना क्या है? ।।अगर काँटों की हिफाज़त से हो जिन्दा । तो फिर बिन पानी मर जाना क्या है ? ||अपनी मेहनत से संभरते हैं दिन। दूसरों की मदद से, हो जाना क्या ह

22

21- मर गये जिन्हें जिन्दगी से लड़ना नही आया

7 नवम्बर 2022
0
1
0

मर गये जिन्हें ज़िन्दगी से लड़ना नहीं आया। वो क्या आसमां छुयेंगे उन्हें उड़ना नहीं आया ।।कि बहुत गिराया हवाओं नें उडते परिंदे को।जो सीख गया उड़ना उसे गिरना नहीं आया ।।हमारे रास्ते पथरीले थे पर हम चले

23

भाग 2 वीर अभिमन्यु वध

7 नवम्बर 2022
0
1
0

करुक्षेत्र में कौरवों और पाण्डवों में भीषण युद्ध चल रहा था। उस दिन सुबह जब सभी योद्धा और सेनायें कुरुक्षेत्र के लिए प्रस्थान कर रहीं थीं तो अभिमन्यु भी अपनी सेना के साथ तैयार हुए जाने से पहले अभिमन्यु

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए