प्रेम और बेवफाई से भरी रहस्यों से भरी कहानी
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अंधेरा घना हो चला था---हाथ को हाथ नही सूझ रहा था----किसी तरह से कीचड़ से सनी सड़कों पर चलते हुए वो रास्ता टटोलते हुए चलने लगी। कुछ आगे चलने पर एक खंडहर दिखाई दिया। हे महादेव,,,,ये तो...बाहर का र
अब उसकी उठने की हिम्मत नही थी---आंखे भर आयीं----बार बार दिल समर के बारे में सोच रहा था---"-समर,,,आई अम सॉरी,,,,लग रहा है की कभी मिल नहीं पाऊंगी अब तुमसे----कितने सपने देखे थे---आज के
पर तुम तो,,,,कुछ कहते कहते निकिता रुक गई----दर्सल कॉलेज के समय अंकित निकी को बेहद प्यार करता था। उसकी दीवानगी के किस्से मशहूर थे। पर जब समर और निकी की मुलाकात हुई---अंकित कहीं चला गया था---उसके बाद
निक्की भी बाय कर गाड़ी स्टार्ट करती है---गाड़ी वाकई ठीक हो चुकी थी---अंकित के देखते देखते निक्की की गाड़ी नज़र से ओझल हो जाती है। कमालः की बात हुई---अगले दस मिनट में निककी की गाड़ी उसके घर के सामने थी।
समर का मोबाइल खड़खड़ा उठा। ह्म्म्म,,,समर सामने वाले बन्दे से कुछ बात कर रहा था अच्चानक फिर मौसम भयावह हो गया----रात और अंधीयारी हो गयी----फिर तेज़ बारिश पड़ने लगी----कमरे की खिड़कियों के पल्ले जोर जोर स
निक्की,,,चलो पहले जल्दी से केक काटकर शैम्पेन खोलते हैं----कॉफी मेरे होते क्या जरूरत है..???---और एक आंख विंक कर देता है। निक्की शर्मा जाती है। समर एक नज़र घड़ी पर डालता है---हैरान रह जाता है----अभ
पिछले अंक में आपने पढ़ा कि समर और शिजा ने किसी से सामान मंगवाया था;---वो सामान तो देकर नहीं गया---पर फिर ये सामान---!!!!???----दोनो हैरानी से एक दूसरे की शक्ल देख रहे थे। अब आगे---- ये सामान,,,,,
निक्की अन्ग्डाई लेकर उठती है---पर नज़र अभी भी सामने पड़े केक,,शेम्पेन की बॉटल और उस सपने पर थी जो उसने देखा था। समर,,,,समर कहाँ हो तुम--????----निक्की परेशान हो चारो तरफ समर को ढूंड रही थी---पर समर