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जीएसटी पर कविता

25 जनवरी 2018

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जीएसटी!

हाँ ! भइया जीएसटी आई है

सुना है भइया जीएसटी आई है।


साहब कहत हैं गुड़ और सिंपल टैक्स है

अउर सब के मन का खूब लुभाई है।

हाँ ! भइया जीएसटी आई है

सुना है भइया जीएसटी आई है।।


नवा कानून है भाई

व्यापारी कै व्यापार बढ़ जाई

वित्त मंत्री दिहिन बताई

सीए, वकील, अकाउंटेंट कै बहुतै कमाई है।

हाँ! भाई जीएसटी आई है

सुना है काका जीएसटी आई है।।


पप्पू भइया दिहिन सुनाई

ई तौ गब्बर सिंह टैक्स है भाई

व्यापारी कै यहमा बहुतै खिंचाई है।

हाँ ! भइया जीएसटी आई है

सुना है भइया जीएसटी आई है।।


पेट्रौल, शराब का दिहिन हटाई

कपडा - लत्ता का दिहिन बढ़ाई

अरे भइया सेनेटरी पैडवौ पै जीएसटी लगाई है।

हाँ ! भइया जीएसटी आई है

सुना है भइया जीएसटी आई है।।


सीए साहब कहत हैं भाई

रिटर्न भर - भर के जिव अकुलाई है

आगेव फिर बदलाव के बरे मीटिंग बुलाई है।

हाँ ! भइया जीएसटी आई है

सुना है भइया जीएसटी आई है।।


@ अवनीश शुक्ला "नान्ह"

अवनीश शुक्ला -नान्ह- की अन्य किताबें

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आओ बचपन ख़ुद में ढूँढें

18 जनवरी 2018
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आओ बचपन खुद में ढूंढेंसुबह की ठंडी हवा निरालीधूप खिली है मतवाली।नन्हें-नन्हें पांव से गिर करउठने के सपने बुन लें।।आओ बचपन खुद में ढूंढें।......2वो आंगनवाड़ी में जा-जा कर क, ख, ग, घ, ङ पढ़नाए, बी,सी,डी के चक्कर मे सिस्टर जी की डांट भी सुनना।पट्टी पर खड़िया से लिख कर थोड़ी यादें ताजा कर लें।।आओ बचपन खुद

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जीएसटी पर कविता

25 जनवरी 2018
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जीएसटी! हाँ ! भइया जीएसटी आई हैसुना है भइया जीएसटी आई है।साहब कहत हैं गुड़ और सिंपल टैक्स है अउर सब के मन का खूब लुभाई है। हाँ ! भइया जीएसटी आई है सुना है भइया जीएसटी आई है।। नवा कानून है भाई व्यापारी कै व्यापार बढ़ जाई वित्त मंत्री दिहिन बताई सीए, वकील, अकाउंटेंट कै बह

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बहुत असहाय सा महसूस करता हूँ

5 फरवरी 2018
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बहुत असहाय सा महसूस करता हूँजब देखता हूं ये कोलाहलये जातिवाद की राजनीतिकभी हिन्दू , कभी मुस्लिमऔर कभीइतिहास , संस्कृति के नाम परनन्हें - नन्हे बच्चों पर पथरावहाँ!मैं बहुत असहाय सा महसूस करता हूँ।।वो पाकिस्तान जिंदाबाद के नारेकभी वंदे मातरम के नाम पर राजनीतिकिसानों पर गोलियों की बौछार और फिरकभी हत्या

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