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कहानी🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻

2 जनवरी 2020

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कहानी.......महान कौन ?,,,, जी ..ये माथुर साहब का घर है क्या? जी हाँ मैं उनकी ही पत्नी हूँ। जी आप सब यहीं पूँछ लेंगी या अंदर आने को भी कहेंगी ।अरे .. आइये न मैं तो भूल ही गयी सुमि ने कहा। आपआराम से बैठिये मै आपके लिए चाय वाय लेकर आती हूँ। नही आपके पति आते ही होंगे उन्होंने मुझे 6 बजे का समय दिया था। सुमि आपने मुझे पहिचाना नही शायद। आप मेरा नाम कैसे जानते हैं?सुमि तुम भी पहिचान जाओगी अगर तीस साल पहिले का सोचोगी तो। पल भर को तो सुमि को लगा जैसे तीस साल एक पल के लिये थम गए हों।और अमित की शक्ल आँखों के आगे घूम गयी पर ऐसी सफेद दाड़ी और मोटा चश्मा आँखों पर नही था । क्या.....अमित लड़खड़ाती जुबान से सुमि ने कहा। हां हाँ चलो तुम्हे याद तो आया। पर अमित तुम तो काफी बदल गए । सुमि हालात ही बदल गए । अच्छा तुम सुखी तो हो ।बहुत बहुत ये कहते कहते सुमि का गला ही भर आया। तुम्हारे पति बहुत ही अच्छे इंसान है ये तो मुझे ऑफिस मैं ही पता चल गया था। पर ये पता न था कि वो तुम्हारे पति है अमित ने कहा। अरे मैं अपनी डायरी तो माथुर साहब के पास ही छोड़ आया। कोई बात नही वो अपने साथ ले आएंगे। सुमि तुम्हारी बरसो पुरानी तस्वीर उस डायरी मैं है।ये जानकर दोनो ही परेशान थे। बस तभी माथुर साहब भी आगए। आते ही गर्म जोशी से अमित का इन्होंने स्वागत किया और अमित के हाथ मैं डायरी थमा दी बोले अमित आपका ऑफिस का काम हो गया है आप जब तक पूना मैं हर शाम हमारे साथ खाना खाएंगे। अरे नही माथुर साहब । सुमि का चेहरा अनजाने भय से पीला से होगया। देखते ही ये बोले सुमि तुम्हारी तवियत तो ठीक है मुझे जरा सी परेशानी हो तो ये बेचैन हो जाते है। नाश्ते के बाद अमित चले गए न जाने कितने सवालों के साथ। जाते ही ये बोले सुमि इसने अभी तक शादी नही की कह रहा था कि जिसे चाहा उसने हां नही कहा सारी ज़िन्दगी बस यही सोचता रहा कि मैं उसे भूल जाऊंगा फिर शादी करूँगा पर ऐसा क़भी हो नही पाया और वक्त निकल गया मुझे उससे शिकायत नही है क्यो कि वो कभी गलत नही हो सकती कोई तो मजबूरी रही होगी। सुमि उसकी डायरी मैं मुझे तुम्हारा फ़ोटो मिला उस पर लिखा था with love. Sumi पगली इतना बड़ा बोझ लेकर जीती रही कभी कह कर अपना मन हल्का तो किया होता मै जनता हूंउस जमाने मैं अंतरजातीय विवाह कितने मुश्किल थे। तुमने अपने प्यार का वलिदान देकर मुझे जो प्रेम दिया सच मैं तुम्हारा ऋणी हो गया हूँ। भावविभोर होकर मेरा हाथ इन्होंने थाम लिया। सुनकर सुमि कृतज्ञ सी हो गयी ।समझ नही पायी की आँख में जो आंसुओ का सैलाब है वो अमित के खोने का है या इनको पाने की खुशी। बस सुमि यही सोचती रही कि हार तो हर हाल में अमित की ही हुई है। शायद ये आँसू इसी पश्चाताप के है। समझ नही पायी कि मेरे पति हर बार अपनी महानता से जीत कैसे जाते है? सुमि ये तो बताओ कल अमित के लिए खाने में क्या बनाओगी वैसे तो तुम्हारे हाथ का खाना लाजबाब होता ही है।और फिर अमित तो अब तुम्हारे साथ हमारा भी दोस्त जो है। सुमि मेरी नज़र में तुम्हारी इज्ज़त और भी बढ़ गयी है। सुमि नही समझ पा रही कि महान किसे कहे अमित को.... जिसने मेरी यादो के सहारे ज़िन्दगी काट दी या माथुर साहब को जिन्होंने इस बात को हल्के से लिया। इसी उभापोह में नींद भी नही आ रही थी की इन्होने मेरे माथे को सहलाते हुए बड़े प्यार से कहा सिर में दर्द है।। इधर आओ। मैं तुम्हारे सिर की मालिश कर देता हूं । सच है प्यार का स्पर्श सारे ग़म भुला देता है बस...... सोचते सोचते पता नही कब नींद आ गयी।,...... किसे महान कहूँ ये निर्णय न ले सकी। । त्रिशलरानी जैन।

त्रिशला रानी जैन की अन्य किताबें

फ़कीर मोहममद

फ़कीर मोहममद

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15 मई 2020

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कहानी "शायद यही प्यार है"

4 जून 2019
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कहानी ,,,,शायद यही प्यार है,,,,,,,,,नीचे से किरायेदार अंकल की गुस्सा होने की आवाज़ आ रही थी | ये दोनों दिन भर आपस में लड़ते ही रहते है रात को भी चैन नही | सुबह ही जाकर मकान खाली करने को कह दूँगी | पर सोचकर चुप हो जाती हूँ कि कौन इस उम्र में इनको मकान देगा ?एक ही बेटा है वो भी विदेश मैं है बस आप

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कहानी अपराधबोध

27 जून 2019
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कहानी परिवर्तन ,,,.

16 जुलाई 2019
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🌹🌹🌹🌹कहानी,🌹🌹🌹परिवर्तन.....कहते है परिवर्तन ही जीवन का नियम है |सुधा भी घर मैं परिवर्तन चाहती है | लो ये भी बिना चाहे ही हो गया , अभी काम वाली का फोन आ गया " मैडम जी आज मैं नही आ रही हूँ | क्या हुआ सुधा ने पूछा ' अरे मैडम वही रोज़ रोज़ की चिक चिक { रात मेरे मर्द ने मुझे दारू पीकर बहुत मारा

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कविता***********( हज़ारों दीप भी कम है*******

16 जुलाई 2019
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हज़ारो दीप भी कम है अंधेरो को मिटाने के लिये ....हो संकल्प मन में अगर तो एक दीप काफी है उजाले के लियेप्रेम है शब्द ऐसा कि भेद आपस के मिटाता मगर..एक कटु वचन ही काफी है दोस्ती मिटाने के लियेअगर भूल जाये रास्ता कोई तो दिया झोपड़ी का ही काफी है रास्ता दिखाने के लिएजीवन में लगा दे एक पेड़ हरेक इंसानतो

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"याद आते हैं वो बचपन के दिन "

20 जुलाई 2019
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बचपन के दिन - कल याद आ गया मुझको भी अपना बचपनखुश हुई बहुत पर आँख तनिक सी भर आयी गांवों की पगडण्डी पर दिन भर दौड़ा करती कुछ बच्चों की दीदी थी। दादी की थी राजदुलारी रोज़ सुनती छत पर दादाजी से परियो की कहानी झलते रहते वो पंखा पर थक कर मैंसो जाती घर कच्चे थे चाची लीपा

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कविता,,,

20 जुलाई 2019
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कैसे मौन रहूँ मैं ?......मैं धरती माँ हूं सब कुछ सह लेती हूंअस्वछ कर दिया है तुमने मुझकोकचरे की सेज बिछा दी मुझ पर पेड़ो की कुछ छाया दे दो कुछ तो श्वास ले सकूँ मै भीपेड़ो की शाखाओं को तुम काट रहे होभुजाये है ये मेरी मत दूर करो मुझसेहरियाली की चुनर पहिंन करमैं तुमको जीवन दूंगी पर तुमतो मुझको असहनीय

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तप्त झोकें और नारी ।

20 जुलाई 2019
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निराशा के तप्त झोंको से विचलित नही होती जोकठिनाइयों मै साहस कीकठोर चादर ओढ़ लेती है खनकती चूडियों के स्वरऔर पायलों के बन्धन कभीउसे कमज़ोर नही बनाते जिसेमाँ ,बहिन,पत्नी ,प्रेयसी बन करतपती दोपहरी मै भी शीतलताबिखेर देती है पर कभी कभी ममता के वशीभूत हो भीग जाया करती है पलके जिसकीलक्ष्मीबाई बन लिख दिया

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कहानी

21 जुलाई 2019
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कहानी🎈🎈🎈🎈 फिर से.........आज घर के नीचे गुब्बारे वाले को आवाज़ लागाते सुना ।तो गुब्बारा खरीद लाई । वो पूछने लगा बहिन जी क्या बच्चे आगए है । नही तो .. पड़ोसिन भी यही पूछने लगी "सीमा जी लगता है आपकी नातिन आने वाली है । मैं बिना किसी उत्तर के ऊपर आ गयी ।पता नही क्यो इस लगा कि मेरी प्यारी सी नाति

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कहानी,,,,

24 जुलाई 2019
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उगते हुए सूरज की कसम कोई भी सुबह न गुज़री कितुझे भूल गए हों हम ..... पुरानी डायरी के कुछ पन्नेआज मुझे मिल गए इसी के साथ शुरू होती है सपना की ये कहानी .......... ये चंद पंक्ति बहुत पहिले लिखी थी जब मै पंद्रह साल की थी | छत पर जाड़ो में बैठना कितना भाता है सपना भी रोज़ सुबह छत पर चली जाती | एक दि

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कहानी ******महान कौन?*****(

24 जुलाई 2019
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कहानी.......महान कौन ?,,,, जी ..ये माथुर साहब का घर है क्या? जी हाँ मैं उनकी ही पत्नी हूँ। जी आप सब यहीं पूँछ लेंगी या अंदर आने को भी कहेंगी ।अरे ..आइये न मैं तो भूल ही गयी सुमि ने कहा। आपआराम से बैठिये मै आपके लिए चाय वाय लेकर आती हूँ। नही आपके पति आते ही होंगे उन्होंने मुझे 6 ब

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वक़्त वक़्त की बात है ।

25 जुलाई 2019
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वक्त वक्त की बात हैक़भी ये मेहरवान तो कभी बेरहम हुआ करता हैबड़ी शिद्दत से चाहा है हमने इस के हर लम्हे कोचलते रहे है इसकी बताई हर शह पर हमवक्त ने मुस्कुरा कर पूछा क्या थके नही तेरे कदमकहा मेने कि हौसला है मंज़िल तक जाने का वक्त ने कहा कि न चल,' लौट जा सफर तेरा पूरा हुआअब तेरे लौटने का वक्त आ गया,,. क्या

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कहानी

25 जुलाई 2019
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'मैं बेटी हूँ फल वाले की' ...{कहानी )मम्मी मम्मी कहाँ हो ? लगता है मम्मी अभी आयी नही ? क्या है? बेटा मैं अभी अभी आयी हूँ तुम्हारे पापा अब ठेले पर है मैं घर आ गयी कि हमारी नीना घर आने वाली होगी इस लिये मैं तो आ गई । अच्छा अब चल उठ खाना खाले | क्या ... मम्मी पहिले मेरी बात सुनो .... मम

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कविता आशियाना हूँ प्यार का ।

31 जुलाई 2019
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बरगद के पेड़ से पूंछा कि तुम बर्षो से यूँ ही खड़े थकते नहीवो बोला देने वाले कभी थकते नहीमैं राहगीर को छाया देकर आराम देता हूँ पर अब लोग मेरे नीचे बैठते ही नही । पता नही बस उंगलियों से कुछ लिखते रहते है ।बस उनके चेहरे की भाव भंगिमाये देखता हूँ ।

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लिखूं कोई खत ऐसा,,,,,,लिखूं कोई तो खत तुम्हारे नाम ऐसा कि मेरी ज़िन्दगी की कह दे कहानी पर उम्मीदे कभी होती नही पूरी आसमान की ऊचाई पर बादलो के भ्रम की चादर से , शायद तुम्हें कुछ दिखाई नहीं देता पर फिर भी सोचती हूँ शायद तुमने........ मेरे ख़त का एक हर्फ़ तो पढ़ा होगा तभी तो ये ज़मी भीगे आँसू की कहानी लिख रही है तभी तो , खिल गए है मुहब्बतो के फूल किसी के लिये गजरे बन कर खूबसूरत प्रिया का श्रृंगार बन जायेगे या किसी नन्ही हथेलियों से तोड़ लिए जाएंगे तो क्यो न इन्हें मंदिर में किसी देवता पर अर्पित कर दूँ ताकि न पैरों तले कुचल जाए ये, चाहत है कि सूख कर भी ये किसी मुहब्बत की कहानी लिखें या ज़मी में अपने को ख़ाकसार करके फिर से नया बीज बन अंकुरित हो जाएं । त्रिशला जैन ।

3 अगस्त 2019
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यादे जो फूल बन जाएंगी ।

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मेरी अभिलाषा

4 अगस्त 2019
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******मन की अभिलाषा******संतापों की आहट सुनकर भी मुझकोहर पल का सुखमय आभार मिलेसुख दुख मन की ही की अनुभूति हैमन भावन अपना मधुमास मिले । धूप तप रही हो फिर भी मुझको अम्बर की छाया का वरदान मिले दुखो के भी बरसे बादल पर मुझको प्रियजनो का बरखा सा प्यार मिलेमधुमास कहे पतझड़ बन जाऊंतो

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ज़िन्दगी ,,,,क्या है .

10 अगस्त 2019
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🌹🌹🌹 ज़िन्दगी 🌹🌹🌹🌹ज़िन्दगी तू फूल है ,शूल भी है,फूल कहता मुझसे,मैं पल भर का हूँमुझसे तो शूल ही अच्छे है जिनकी चुभन याद तो रहती है ,मैं तो मिटकर भी किसी को याद नही आता,तोड़ कर बिखेर दी जाती है पंखुड़ियाऔर मैं अपना अस्तित्व ही खो देता हू सबको बहुत देती है तू ज़िन्दगीपर तू बेवफा है ,तुझे ये भी स

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लघु कथा ।

10 अगस्त 2019
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👩‍🌾एक लघुकथा 👩‍🌾अरे जीजी,...... काहे दो तीन दिनों से दिखी नही ,कही गयी थी क्या ? ओह पीछे मुड़ कर देखा तो शीला आवाज़ दे रही थी ।मन ही मन सोचा अब तो ये बस मेरा....... दिमाग .....ही खा जाएगी लो अब हो गया मेरा मोर्निंग वॉक ।मेने फीकी से हँसी हंसते हुए कहा " अरेकहाँ जाती ।घर मे ही थी बहू दो दिन को ऑ

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आज़ाद है हम आजाद रहेंगें ।

15 अगस्त 2019
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आज़ाद है हम आज़ाद रहेंगे 🌷🌷🌷🌷🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻आज स्वतंत्रता दिवस की प्रातः कालीन वेला मैं प्रस्तुत है ये कुछ मेरे विचार इस रूप में ........आज़ादी की सुबह ये कुछ इस तरह से संदेश लायी है.............आज बहिन ने भी रक्षा सूत्र बांध दिया है।बदले मैं न चाहिये उसको उपहार कोई ।बस भाई के चेहरे पर हंसी

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अ से आ: तक ,,,

22 अगस्त 2019
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अक्षर अ

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कृष्ण जन्माष्टमी पर ।

24 अगस्त 2019
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जन्माष्टमी पर विशेष ,,,🌹🌹🌹🌹🌹बाल क्रीडाओं से सम्मोहित करने वाले गोपालअच्युत हो तुम ,द्रोपदी के चीर को बढ़ाने वालेअजया ,अनंता अजमां ,अनंत और असीमअनिरुदद्दा,बन गए गीता का सन्देश देकरदेवकीनंदन ,देवकी के दुलारे,दानवेन्द्रो तुमकोरवों को पराजय दिलाकर जयन्तःबन गएपार्थसारथी ,तुम स्वम बन गए शनतह,किया

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खुशी तुम कहाँ हो..?

29 अगस्त 2019
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तुम कहाँ छिप जाती हो" खुशी"मैं तुमको बार बार ढूढ़ती हूँकोई तो मुझे इसका पता बता दोमेरे मधुर संगीत का साज थी वोनदी का कल कल थी, झरने सीबहती थी तू मेरी रागिनी बन करकई बार मुझसे लिपट जाती थीफूलो सी सुगन्ध सी लुभाती थीप्यार की चाशनी में पगी हुईमेरे होठो पर मधु बन कर मुस्कान बन जाती थी औरमुझे प्रेम का

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हिंदी है दृदय की भाषा ।

14 सितम्बर 2019
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हिंदी का" ह" ह्रदय से जोड़ता है सबकोबड़ी ही सरल सुबोध है ये कलिष्ट लिखो या सरल ,अर्थ नही बदलतेशब्दो का विशाल है भंडार मात्राओं का सुंदर परिधानप्रांतीय भाषाओं का भी है श्रोत हैकिसी शब्द पर चंद्र बिंदी लगा दोलग जाते है अक्षर पर चार चाँदभाव एक पर अक्षर हिंदी के पास कई हैमाँ कहो या अम्मा बस मातृत्व एक ह

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परियो सी होती है बेटियां ❣️❣️❣️❣️🌷❣️

22 सितम्बर 2019
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,🌷🌷🌷🌷 परियों सी होती है बेटियां❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️सौभाग्यशाली होते है वो जिनके है घरहोती है प्यारी दुलारी बेटियांसंगीत बन कर दिल में बस जाती हैहमारे होठों पर खुशी लाती है बेटियांहमारे दुखों को प्यार से कम करती हैआँख में कभी आँसू नही आने देती ये,,🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻आंगन में धूप हो तो दरख़्त बन

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ज़िन्दगी❤️❤️❤️🌷🌷🌷

24 दिसम्बर 2019
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ऐ ज़िन्दगी🙏🙏🙏ऐ ज़िंदगी कई बार पूछा है तुझसेकि तेरे फैसले और फासले अलग क्यों है?वो बोली मैं सबके लिए एक जैसी ही हूँ।बस तू जैसा मुझे देखे मैं वैसी हूँ,किसी के लिये प्यारी सी सुबह हूँ🌻🌻तो किसी के लिये उदास शाम भी हूँ ।💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥तपती दोपहर को मैं रोक सकती नहींपाव अगर तेरे जलते है तो सब्र

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कविता 🌷🌷🌷🙏

24 दिसम्बर 2019
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चाहते जो उसे,शिद्दत से चाहो राह की रुकावट रास्ते बदल लेती है लक्ष्य बनाने के लिए मन की आवाज़ सुन फिर एकलव्य की तरह निशाना साध लो❣️मुश्किल नही है अपनी मंज़िल तक पहुँचना जिओ मन के मुताविक पर राह सच्ची हो ज़िन्दगी कहेगी कब अलविदा पता नही इसे मायूस न कर प्यार से महरूम न कर ऊपर वाले का शुक्रिया कर,बस इबा

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कहानी🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻

2 जनवरी 2020
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कहानी.......महान कौन ?,,,, जी ..ये माथुर साहब का घर है क्या? जी हाँ मैं उनकी ही पत्नी हूँ। जी आप सब यहीं पूँछ लेंगी या अंदर आने को भी कहेंगी ।अरे ..आइये न मैं तो भूल ही गयी सुमि ने कहा। आपआराम से बैठिये मै आपके लिए चाय वाय लेकर आती हूँ। नही आपके पति आते ही होंगे उन्होंने मुझे 6 ब

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