कहानी ,,,,शायद यही प्यार है,,,,,,,,, नीचे से किरायेदार अंकल की गुस्सा होने की आवाज़ आ रही थी | ये दोनों दिन भर आपस में लड़ते ही रहते है रात को भी चैन नही | सुबह ही जाकर मकान खाली करने को कह दूँगी | पर सोचकर चुप हो जाती हूँ कि कौन इस उम्र में इनको मकान देगा ? एक ही बेटा है वो भी विदेश मैं है बस आपस में ही एक दूसरे से नाराजगी दिखाते रहते है | पूरी जमापूंजी बेटे की पढ़ाई में लगा दी एक मकान भी अपने लिए न बनवा पाए| अब बेटे के पैसे का इंतज़ार करते रहते है कई बार तो किराया भी समय से नही दे पाते तब लगता है ..... माता पिता सब कुछ बच्चो के बारे में ही सोचते है काश कभी अपने बुढ़ापे के लिये भी सोचते | यही सोचते सोचते कब नीद आ गयी पता ही नही चला | सुबह देर से जगी तो प्रखर बोले " क्या बात है मनु तवियत तो ठीक है मेने कोई जबाब नही दिया शायद मै अभी भी रूठी हुई थी पर इनको इतनी फुरसत कहाँ....... ... प्रखर के ऑफिस जाते ही फिर अंकल आंटी की लड़ने की आवाज़ आने लगी | मुझे गुस्सा आने लगा और नीचे चल दी आज तो मकान खाली करने की कह ही दूँगी >>>> जैसे ही नीचे पहुँची तो देख कर चकित रह गयी अरे ये क्या....... अंकल तो आंटी के सिर में तेल मालिश कर रहे थे मुझे देख कर बहुत खुश हो गए | मेने कहा ' अंकल बड़ी सेवा हो रही है | वो बोले ' अरे कहाँ तुम्हारी आंटी कहना ही नही मानती देखो न कल रात भर नही सोई बी पी बढ़ गया था समय से दवा नही लेती बस मेरी सेवा में लगी रहती है कभी अपने बारे में नही सोचती | रात को जग कर नाती के लिए स्वेटर बुन रही थी में नाराज़ हुआ तब सोई हैं आंटी उठ कर रसोई में गयी और एक प्लेट में नाश्ता लेकर आगयी बोली' ' बेटा ये लड्डू मेने बनाये है अंकल हंस कर बोले "मनु तुम्हारी आंटी बहुत अच्छी मिठाई बनाती है | और फिर ये तो..... आंटी बोली रहने भी दो तुम भी न....ये कह कर लजा गयी बोली मनु दो दिन पहिले हमारी शादी की चालीसवीं सालगिरह थी अंकल को बेसन के लड्डू बहुत पसंद है| मैं इनको बाजार का कुछ नहीं खाने देती फिर भी.. हाँ हाँ कर दो मेरी शिकायत बेटा कभी कुछ खा भी लूं बाजार में तो ये बहुत गुस्सा करती है | आंटी गुस्सा होने लगी ' अब कोई उम्र है कि बाजार का कुछ तुम्हे पच पायेगा | और फिर समय से दवा और फल नही लोगे तो गुस्सा नही करूँगी और फिर किस पर गुस्सा करुं , ये कहते ही आंटी की आँखे छलक गयी ... मै तो भूल ही गयी कि मै क्या कहने आयी थी | मैन कहा चलती हूँ....अंकल बोले कभी कभी आ जाया करो |तुम आती हो तो लगता है कोई तो है जो हमारी फिक्र करता है | बेटा अपनी आंटी को समझा दो कि आराम भी किया करे सारे दिन काम करती है ये कोई उम्र है काम करने की ?.. बस इतना ही कहना था की आंटी बरस पड़ी ' बोली तुम कहना क्या चाहते हो की मै बूढ़ी हो गयी हूँ |बस ये सुनते ही मुझे हँसी आ गयी | किसी भी महिला के लिये उम्र की बात करना कितना बुरा लगता है | काश ईश्वर इस तरह का वरदान दे दे कि हर महिला हमेशा जवान रहे ... उन दोनों का इस उम्र में इतना प्यार देख कर लगा कि शायद यही प्यार है .... एक दूसरे पर एक दूसरे की परवाह के लिये जीना शायद इसी को प्यार कहते है.... लेकिन हम तो जैसे ज़िन्दगी की आपाधापी में ,नए ज़माने की होड़ में कहीं खोते जा रहे है | ................. काश हम सम्बन्धो की इस प्यारी सी डोर को मजबूत कर पाते .... अब समझ आया कि अपने बिखरते रिश्तो को कैसे संभालना है?....... लेकिन एक प्रखर है की कल शादी की दसवीं साल गिरह ही भूल गए उन्हें ये भी नही पता की मैं क्यो नाराज़ थी । त्रिशला रानी जैन ।