परिभाषा बचपन की बदलने लगी हैं।
कलियाँ खिलना भूल चुकी हैं,
मुरझाकर, मायूसी सिमट चुकी हैं।
कहीं है पैरों में छाले,
भूखे, बेबस... हालात के मारे
दर - दर भटकते, ढूंढते सहारे।
परिभाषा बचपन की बदलने लगी हैं।
भविष्य थे जो कल का,
आज मे भी डरने लगे हैं।
आस छोडकर, मजबूर,
हाथ फैलाने लगे हैं।
नमी है कही, आखों में,
कभी नशे में चूर है,
नन्हे - नन्हे कदम हारने लगे हैं।
परिभाषा बचपन की बदलने लगी हैं।।
बचाना है जो इसको,
पयत्न सबको करना होगा,
वरना आज जो खोने लगा है
कल नामोनिशा ना होगा।
परिभाषा बचपन की बदलने लगी हैं।।