दादा - दादी मेरे बूढ़े हो चले,
चश्मे के बहाने लडते - झगड़ते।
उम्र जितनी ढल चुकी,
प्रेम उतना गहरा हो चला,
एक - दूजे बिन रह ना पाते,
कई जन्मों के साथी,
मन को ये लगते प्यारे,
सर पर चश्मा लेके,
सारा घर नापते,
ढूंढते - ढूंढते चश्मा,
खुद ही खो जाते,
तब फिर याद आता,
जोर - जोर से ठहाके लगाते,
दादा - दादी मेरे बूढ़े हो चले,
चश्मे के बहाने लडते - झगड़ते।