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मेरा स्वप्न सलोना

15 सितम्बर 2018

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मेरा स्वप्न सलोना छोड़ खिलौना मेरा स्वप्न सलोना।। सीमा पर मैं जुट जाऊं रिश्ते नाते छोड़ जाऊं पिता की डांट न पाऊं सर की फटकार न पाऊं मां के आंचल से रोना दीदी की शादी का गौना स्वप्न सलौना, छोड़ खिलौना मेरा स्वप्न सालौना नर झुण्ड - मुंड खण्ड करूं आरंभ मैं प्रचण्ड करूं तीक्ष्ण तीव्र प्रहार करूं शत्रु का संहार करूं दंभ मैं अखंड भरूं तिरंग मेरे संग करूं क्या है पाना, क्या है खोना स्वप्न सलौना, छोड़ खिलौना मेरा स्वप्न सालौना पर दृग गंभीर भाव बिलख देते हैं लोग सैनिक को भी विद्रोही कह देते हैं चित चिता में जल जाती है शून्य - अमर गति पाती है इस पर भी राजनीति छिड़ जाती है क्यों नहीं महाप्रलय आ जाती है। एसों का नाश हो दुना इनके लिए जग हो सुना स्वप्न सलौना, छोड़ खिलौना। मेरा स्वप्न सालौना।। यश प्रताप सिंह प्रथम वर्ष विद्युत अभयांत्रिकी मेनिट भोपाल …........................................ मैं इसका स्वयं साक्षी हूं कि यह कृति स्वरचित व मौलिक है। #TN 2321

यश प्रताप सिंह सिरोहिया की अन्य किताबें

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लेख लिखे जाता हूं

14 सितम्बर 2018
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# मैं लेख लिखे जाता हूं। स्याही कलम से झलक जाता हूं।।मैं लेख लिखे जाता हूं।ब्रह्म से ब्रह्मांड तक,वेदों के प्रज्ञान तक,खंडन से संगम तक,शष्य - श्यामल वंदन तक,रीति से नीति तक,मीत से प्रीति तक,मन से मस्तिष्क तक,रक्त के प्रवाह तक,मै सबको छुए जाता हूं। स्वछंद उडे जाता हूं।।मैं लेख लिखे जाता हूं।स्याही कल

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मेरा स्वप्न सलोना

15 सितम्बर 2018
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मेरा स्वप्न सलोनाछोड़ खिलौनामेरा स्वप्न सलोना।।सीमा पर मैं जुट जाऊंरिश्ते नाते छोड़ जाऊंपिता की डांट न पाऊंसर की फटकार न पाऊंमां के आंचल से रोनादीदी की शादी का गौनास्वप्न सलौना, छोड़ खिलौनामेरा स्वप्न सालौनानर झुण्ड - मुंड खण्ड करूंआरंभ मैं प्रचण्ड करूंतीक्ष्ण तीव्र प्रहार करूंशत्रु का संहार करूंदं

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मेरी तमन्नाओं का पिटारा

15 सितम्बर 2018
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# मेरी तमन्नाओं का पिटारा भरा,परंतु खाली - सा,मेरी तमन्नाओं का पिटारा।नील - नीलिमा नभ कीअठखेलियां रत्नाकर कीखग - विहग के हौंसलेआओ,क्षितिज से पूछ लेंदिनकर दिग्गज दयानिधिचन्द्र, निशा की अवधिसुमन प्रसून सुरभित रस तितलियों को पुलकितकैसा विहंगम दृश्य है प्यार,घन पर बैठ, विचरूं जग सारा।ऐसा है मेरी तमन्नाओ

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तमन्नाओं का पिटारा

19 सितम्बर 2018
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मेरी तमन्नाओं का पिटारा भरा,परंतु खाली - सा,मेरी तमन्नाओं का पिटारा।नील - नीलिमा नभ कीअठखेलियां रत्नाकर कीखग - विहग के हौंसलेआओ,क्षितिज से पूछ लेंदिनकर दिग्गज दयानिधिचन्द्र, निशा की अवधिसुमन प्रसून सुरभित रस तितलियों को पुलकितकैसा विहंगम दृश्य है प्यार,घन पर बैठ, विचरूं जग सारा।ऐसा है मेरी तमन्नाओं

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मेरा राग

11 अक्टूबर 2018
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हृदय के रक्तरंजित भावों की अभिव्यक्ति -: जो असफलता से सफलता , अंधकार से प्रकाश व अज्ञान से ज्ञान की ओर गमन होने समय आए परिवर्तनों की ओर इशारा करती हैं। -:लेखक - यश प्रताप सिंहमैं गा रहा हूं ,नैन -धार मुखारविंद से बहा रहा हूंमैं गा रहा हूं, गान, विरह का मुरीद बना रहा हूंमैं गा रहा हूं,क्योंकि हृदय

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मेरा राग

11 अक्टूबर 2018
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हृदय के रक्तरंजित भावों की अभिव्यक्ति -: जो असफलता से सफलता , अंधकार से प्रकाश व अज्ञान से ज्ञान की ओर गमन होने समय आए परिवर्तनों की ओर इशारा करती हैं। -:लेखक - यश प्रताप सिंहमैं गा रहा हूं ,नैन -धार मुखारविंद से बहा रहा हूंमैं गा रहा हूं, गान, विरह का मुरीद बना रहा हूंमैं गा रहा हूं,क्योंकि हृदय

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आओ दीप ऐसा जलाएं

10 नवम्बर 2018
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कविता

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