shabd-logo

लेख लिखे जाता हूं

14 सितम्बर 2018

111 बार देखा गया 111

# मैं लेख लिखे जाता हूं।

स्याही कलम से झलक जाता हूं।।

मैं लेख लिखे जाता हूं।


ब्रह्म से ब्रह्मांड तक,

वेदों के प्रज्ञान तक,

खंडन से संगम तक,

शष्य - श्यामल वंदन तक,

रीति से नीति तक,

मीत से प्रीति तक,

मन से मस्तिष्क तक,

रक्त के प्रवाह तक,

मै सबको छुए जाता हूं।

स्वछंद उडे जाता हूं।।

मैं लेख लिखे जाता हूं।

स्याही कलम से झलक जाता हूं।।


रावण से दुहशासन तक,

शासन से प्रशासन तक,

रूढ़ियों से बंधन तक,

कुकृत्यों के चंदन तक,

विद्रोह से देश द्रोह तक,

क्षुप्त- विक्षुप्त अज्ञान तक,

घन - घोर निशा तक,

घट - घट वासिनी प्रजा तक,

ताम्र - तिमिर तम को हटाता हूं।

प्रकाश दीप जलाता हूं।।

मैं लेख लिखे जाता हूं।

स्याही कलम से झलक जाता हूं।।


निखर से प्रखर तक,

वैराग्य से कुशाग्र तक,

स्वयं से समाज तक,

शून्य से शिखर तक,

मैं यश का प्रताप लिए जाता हूं।

निज - यौवन गान किए जाता हूं।।


हृदय धवालित - कुसूमित पाता हूं

स्रोत हूं ,विचार दिए जाता हूं

कलम हूं , स्याही से बात किए जाता हूं।

मैं लेख लिखे जाता हूं।

स्याही कलम से झलक जाता हूं।।

मैं लेख लिखे जाता हूं।


यश प्रताप सिंह,

प्रथम वर्ष

विद्युत अभियांत्रिकी

मेनिट

भोपाल

...........................................................


मैं स्वयं साक्षी हूं की यह स्वरचित कविता मेरी मौलिक कृति है।

#TN-2321#







यश प्रताप सिंह सिरोहिया की अन्य किताबें

रेणु

रेणु

प्रिय यश जी -- विद्युत अभियांत्रिकी के छात्र होते हुए भी आपने बहुत अच्छी हिंदी रचना लिखी | निश्चित रूप से आप सराहना के अधिकारी हैं | इस रचना यात्रा को रोकिये मत | मेरी शुभकामनायें |

15 सितम्बर 2018

1

लेख लिखे जाता हूं

14 सितम्बर 2018
0
2
1

# मैं लेख लिखे जाता हूं। स्याही कलम से झलक जाता हूं।।मैं लेख लिखे जाता हूं।ब्रह्म से ब्रह्मांड तक,वेदों के प्रज्ञान तक,खंडन से संगम तक,शष्य - श्यामल वंदन तक,रीति से नीति तक,मीत से प्रीति तक,मन से मस्तिष्क तक,रक्त के प्रवाह तक,मै सबको छुए जाता हूं। स्वछंद उडे जाता हूं।।मैं लेख लिखे जाता हूं।स्याही कल

2

मेरा स्वप्न सलोना

15 सितम्बर 2018
0
0
0

मेरा स्वप्न सलोनाछोड़ खिलौनामेरा स्वप्न सलोना।।सीमा पर मैं जुट जाऊंरिश्ते नाते छोड़ जाऊंपिता की डांट न पाऊंसर की फटकार न पाऊंमां के आंचल से रोनादीदी की शादी का गौनास्वप्न सलौना, छोड़ खिलौनामेरा स्वप्न सालौनानर झुण्ड - मुंड खण्ड करूंआरंभ मैं प्रचण्ड करूंतीक्ष्ण तीव्र प्रहार करूंशत्रु का संहार करूंदं

3

मेरी तमन्नाओं का पिटारा

15 सितम्बर 2018
0
0
0

# मेरी तमन्नाओं का पिटारा भरा,परंतु खाली - सा,मेरी तमन्नाओं का पिटारा।नील - नीलिमा नभ कीअठखेलियां रत्नाकर कीखग - विहग के हौंसलेआओ,क्षितिज से पूछ लेंदिनकर दिग्गज दयानिधिचन्द्र, निशा की अवधिसुमन प्रसून सुरभित रस तितलियों को पुलकितकैसा विहंगम दृश्य है प्यार,घन पर बैठ, विचरूं जग सारा।ऐसा है मेरी तमन्नाओ

4

तमन्नाओं का पिटारा

19 सितम्बर 2018
0
0
0

मेरी तमन्नाओं का पिटारा भरा,परंतु खाली - सा,मेरी तमन्नाओं का पिटारा।नील - नीलिमा नभ कीअठखेलियां रत्नाकर कीखग - विहग के हौंसलेआओ,क्षितिज से पूछ लेंदिनकर दिग्गज दयानिधिचन्द्र, निशा की अवधिसुमन प्रसून सुरभित रस तितलियों को पुलकितकैसा विहंगम दृश्य है प्यार,घन पर बैठ, विचरूं जग सारा।ऐसा है मेरी तमन्नाओं

5

मेरा राग

11 अक्टूबर 2018
0
0
0

हृदय के रक्तरंजित भावों की अभिव्यक्ति -: जो असफलता से सफलता , अंधकार से प्रकाश व अज्ञान से ज्ञान की ओर गमन होने समय आए परिवर्तनों की ओर इशारा करती हैं। -:लेखक - यश प्रताप सिंहमैं गा रहा हूं ,नैन -धार मुखारविंद से बहा रहा हूंमैं गा रहा हूं, गान, विरह का मुरीद बना रहा हूंमैं गा रहा हूं,क्योंकि हृदय

6

मेरा राग

11 अक्टूबर 2018
0
0
0

हृदय के रक्तरंजित भावों की अभिव्यक्ति -: जो असफलता से सफलता , अंधकार से प्रकाश व अज्ञान से ज्ञान की ओर गमन होने समय आए परिवर्तनों की ओर इशारा करती हैं। -:लेखक - यश प्रताप सिंहमैं गा रहा हूं ,नैन -धार मुखारविंद से बहा रहा हूंमैं गा रहा हूं, गान, विरह का मुरीद बना रहा हूंमैं गा रहा हूं,क्योंकि हृदय

7

आओ दीप ऐसा जलाएं

10 नवम्बर 2018
0
0
0

कविता

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए