मेरी तमन्नाओं का पिटारा
भरा,परंतु खाली - सा,
मेरी तमन्नाओं का पिटारा।
नील - नीलिमा नभ की
अठखेलियां रत्नाकर की
खग - विहग के हौंसले
आओ,क्षितिज से पूछ लें
दिनकर दिग्गज दयानिधि
चन्द्र, निशा की अवधि
सुमन प्रसून सुरभित
रस तितलियों को पुलकित
कैसा विहंगम दृश्य है प्यार,
घन पर बैठ, विचरूं जग सारा।
ऐसा है मेरी तमन्नाओं का पिटारा,
भरा, परंतु खाली - सा।।
आरंभ मैं प्रचण्ड करूं
मेहनत मैं अखण्ड करूं
कुरीति को मैं चूर करूं
नीति से मैं प्यार करूं
भ्रष्ट को मैं नष्ट करूं
दुष्ट को मैं शिष्ट करूं
वेदों का मैं नाद करूं
पश्चिम में उन्माद करूं
विश्व - गुरु हो भारत हमारा,
यशोगान करे जग सारा।
ऐसा है मेरी तमन्नाओं का पिटारा ,
भरा, परंतु खाली - सा।।
कुकृत्य अब न हो सहारा,
ऐसा मेरा स्वप्न है प्यारा।
मेरी तमन्नाओं का पिटारा,
भरा परंतु खाली - सा।।
यश प्रताप सिंह
प्रथम वर्ष
विद्युत अभयांत्रिकी
मेनिट
भोपाल
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यह मेरी मौलिक व स्वरचित कृती है।
मैं इसका स्वयं साक्षी हूं।
TN 2321