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कोई मेरे बचपन के पल लौटा दो

24 मई 2018

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featured image"कोई मेरे बचपन के पल लोटा दो" 1. वो मेरी बचपन की दोस्ती प्यारी, जिसमे ना होती थी गद्दारी। पल-पल झगड़ लेते थे हम, लेकिन अगले ही पल में एक साथ होते थे हम। एक बार ही सही फिर से मौका दो, कोई मेरे बचपन के पल लोटा दो........ 2. वो दोस्तो के साथ घर -घर घूमने जाना, सुबह से शाम तक घर ना लौट के आना। लड़ाई होने पर घर रोते हुए आना,अब ना खेलूंगा इनके साथ ये बात माँ को बताना। मेरे बचपन की लड़ाई ही करवा दो, कोई मेरे बचपन के पल लोटा दो....... 3.वो दोस्तो के साथ नदी पर नहाना, वही से क्रिकेट खेलने जाना। पापा के लौटने के पहले घर आना , और बेफिक्र हो जाना। यारो मुझे वो यादो की नदी में डूबा दो, कोई मेरे बचपन के पल लोटा दो......... 4.शाम को मिलते ही दिनभर की बाते करना, चौपालों पर बैठकर एक दूसरे पर आरोप मढ़ना। आज इससे लड़ाई, कल उससे झगड़ा फिर अगले ही पल साथ हो जाना। बचपन की मासूमियत को लौटा दो, कोई मेरे बचपन के पल लोटा दो...... 5.आज के दौर में परिवर्तन तो हुआ है, उन चौपालों की बैठको को मोबाइल ने छिन लिया है। अब साथ रहकर भी आपस मे ना बात करते है हम, पहले जैसा बचपन अब नही जीते है हम। थोड़ी देर के लिये ही मुझे बचपन की यादो में उलझा दो, कोई मेरे बचपन के पल लोटा दो....... ✍🏼मयंक शुक्ला✍🏼

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"कोई मेरे बचपन के पल लोटा दो"1. वो मेरी बचपन की दोस्ती प्यारी, जिसमे ना होती थी गद्दारी। पल-पल झगड़ लेते थे हम, लेकिन अगले ही पल में एक साथ होते थे हम। एक बार ही सही फिर से मौका दो, कोई मेरे बचपन के पल लोटा दो........2. वो दोस्तो के साथ घर -घर घूमने जाना, सुबह से शाम तक घर ना लौट के आना।लड़ाई होने पर

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"कोई मेरे बचपन के पल लोटा दो"1. वो मेरी बचपन की दोस्ती प्यारी, जिसमे ना होती थी गद्दारी। पल-पल झगड़ लेते थे हम, लेकिन अगले ही पल में एक साथ होते थे हम। एक बार ही सही फिर से मौका दो, कोई मेरे बचपन के पल लोटा दो........2. वो दोस्तो के साथ घर -घर घूमने जाना, सुबह से शाम तक घर ना लौट के आना।लड़ाई होने पर

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