"विश्व महिला दिवस " कुछ पंक्तिया शीर्षक है
"हा एक नारी हु मै"
1. हा एक नारी हु मै, औरो के सपनो पर जीती हु, घर के किसी कोने में रोती हु; बिलखती हु, लोगो की नजरों में बिचारी हु मै, हा एक नारी हु मै.........
2.अपमानों का घुट पीकर रह जाती हूं मैं, कभी दहेज के लिए , कभी सिरफिरे आशिक के लिए जला दी जाती हूं मैं, सम्मान की आस में अपना पूरा जीवन गुजारी हु मै, हा एक नारी हु मै.........
3.कभी कभी तो मुझे माँ की गोद मे ही मार दिया जाता हैं, मेरी नन्ही सी दुनिया को चंद महीनों में ही उजाड़ दिया जाता है, मत मारो माँ ये आवाज माँ की गोद मे से पुकारी हु मै, हा एक नारी हु मै.....
4.लोगो की मैली नजर को दिनभर ढोती हु मै, कभी कभी अपनो का ही शिकार होती हु मै, अपनो पर ही भरोसा नही कर पा रही हु मै , हा एक नारी हु मै........
5.कभी दुर्गा ,लक्ष्मी , सरस्वती के रूप में पूजी जाती हु मै, कभी लोगो की हवस के लिए नोची जाती हु मै,अपनो के सम्मान में जिंदगी जीती जारही हु मै, हा एक नारी हु मै.........
6.काश मुझे भी समान हक़ दिया जाता,अपने हिसाब से मुझे जीने दिया जाता,मै बताती की भैय्या पर भी भारी हु मै, हा एक नारी हु मै.........
7.एक घर से दूसरे घर विदा कर दी जाती हूं मैं,अपनी आजादी को औरो की खुशी के लिये भूल सी जाती हूं मैं,मै अपने लिए ना कल कुछ कर पायीं थी, ना आज कर पा रही हु मै, हा एक नारी हु मै.....
8.मुझसे ही माँ, बहन ,बेटी और पत्नी का रिश्ता आता है, मेरे द्वारा ही श्रष्टि का निर्माण रचा जाता है,ईश्वर की शक्ति परमात्मा की दुलारी हु मै, कुछ भी कहो सब पर भारी हु मै, हा एक नारी हु मै...............✍🏻मयंक शुक्ला✍🏻