आज mercury फ़िर से हाई है ,
लगता है गर्मी फ़िर से बढ़ी है ,
रोज़ चाय से दिल लगाने बाले ,
आज लस्सी को तलाश रहे हैं ,
तो सर पर टोपी, आँखों पर चश्मा ,
बना आज शहर का trend है,
रोज़ आसमान को चीरते पंछियों की टोली ,
फब्बारौन को ढूंढ़ती जा पहुँची है ,
तो जानवरों इंसानों में छाँव खोजने की ,
लगी अजीब सी होड़ है.. ,
अचानक लगी curfew सी देखो ,
सड़कें हो रही आज खाली है ,
वाकई गर्मी तो बढ़ी है ! ॥1॥
सियासत की गलियारों में भी गर्मी बढ़ी है ,
सुना है वहाँ करप्शन कि लू चली है ,
खुद को बचाए कैसे ,इसलिए धरम और विकास का ओढा छाता चुनावी है ,
मतलब गर्मी तो बढ़ी है ,
Exams का महासागर आगे है ,पार करने की होड़ में
लगा हर student है ,
रट रहा है ,दिमाग में बैठाने की जगह ठूंस रहा है ,
क्या करे ! Cutoff का पारा जो हाई है ,
गर्मी हां भी बढ़ी है ॥2॥
पर इन सब मे टेंशन दे रही गर्मी जो यहाँ बढ़ी है ,
जो इंसानियत को मोम के पुतले सी पिघला रही है
क्रोध स्वार्थ के इस आग बरसाते तापमान मे ,
विवेक भी अब जल रही है ,
लग रहा है ऐसा अब ,
मनो इंसान लगा रह अपनी ही चिता पर आग है ,
न दिख रहा बचने का रास्ता अब कोई ,
भगवान ! अब तू ही सहारा है ॥3॥
SOUMYA SWARUP NAYAK
Sambalpur, Odisha