उस वीर गति की लाज बचाने चले है हम सब साथ यहीसर कट जाये गम न होगा, मगर ना झुके ये शीश कभी || प्रेम डगर की राह छोड़ दी, पानी है अब वीर गति देश के खातिर दिल और धडकन कर दू न्योछावर जान अभी || हिन्दू मुस्लिम दंगो से अब ना होगा अनाथ कोई देश के ठेके दरों का आब कर देना है न