उस वीर गति की लाज बचाने चले है हम सब साथ यही
सर कट जाये गम न होगा, मगर ना झुके ये शीश कभी ||
प्रेम डगर की राह छोड़ दी, पानी है अब वीर गति
देश के खातिर दिल और धडकन कर दू न्योछावर जान अभी ||
हिन्दू मुस्लिम दंगो से अब ना होगा अनाथ कोई
देश के ठेके दरों का आब कर देना है नाश हमे ||
सीमा पर जो देश के खातिर खड़ा है चौकीदार अभी
उस फौजी की कसम हमें है अब ना सहेंगे ज़ुल्म कभी ||
युवा का सन्देश यही है, देश के प्रेमी है सभी
अगर उठी कोई लहर अभी तो बह जाएंगे भ्रुस्ट सभी ||