मापनी- २१२ २१२ २१२ २१२ काफ़िया- आ (स्वर) रदीफ़- रह गया"गज़ल" कुछ मिला भी नही ढूढता रह गयावक्त आ कर गया देखता रह गयाथी निशा भी खिली दिल सजाकर गईऋतु झलक कर गयी झाँकता रह गया।।रात थी ढल गई चाँदनी को लिएसच पलट कर सुबह सोचता रह गया।।रात रानी खिली थी कहीं बाग मेंपहर की ताजगी महकता