ऐ वीर जवान तू तो है तूफान तूने चाहा जहाँ पहुँच पाया वहाँ तू चला जहाँ तेरा कारवाँ तूफ़ानो में बढता गया रुका नहीं कभी तू गया जहाँ पहाड़ो पे भी चड़ता गया जब हवा चली ढक गये वो निशान जो बने थे वहाँ मिट गये वो निशान ऐ वीर जवान पैरो के निशान मिलते ही नहीं ढूंडू मैं क