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यह महल है पुराना किसी और का याद उसकी सजाकर मचलती रही।।

hindi articles, stories and books related to Yah mahal hai purana kisi aur ka yaad uski sajakar machalati rahi।।


गीतिका आधार छंद- गंगोदक मापनी- २१२ २१२ २१२ २१२ २१२ २१२ २१२ २१२ (रगण क्ष ८) पदांत- अती समांत- रही“गीतिका" आग लगती रही धुंध उडती रही क्या हुआ क्या हुआ चींख जलती रहीअब जला दो मुझे या बुझा लो मुझे पर हकीकत हवा है सुलगती रहीदाग दामन लगी है कहूँ अब किसे भूलना इस बला को मुनासिब

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