जहाँ चाह है वहाँ राह है
मंत्र है ये बिल्कुल आसान
बढ़ चला चल राहें अपनी
मुसाफिर ना होना परेशान
अविचलित पथ पे चलाचल
रुक ना जाना कहीं नादान
राहों से ही राहें मिलती हैं
मंजिल हो जाती आसान
मुड़ कर ना तू देख बटोही
ना कर दूरी का अनुमान
दूर हो जाएगी हर मुश्किल
तेरा संबल है, यदि महान
खुद से तू इक वादा कर ले
साथ निभाने की मन में ठान
जहाँ चाह है वहाँ राह है
मंत्र है ये बिल्कुल आसान
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लेखिका - प्रान्जलि काव्य (ममता यादव)
स्वरचित मौलिक वसर्वाधिकार सुरक्षित
भोपाल मध्यप्रदेश
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