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अभिनय

14 अप्रैल 2017

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भाग्य भले साथ न दे, मेहनत हमेशा साथ देती है सीखना जिसने रोक दिया, समझो वो वहीं रुक गया। यहाँ तक कि जो एक्टर स्थापित हैं, वे भी ख़ुद को उस मकाम पर बनाए रखने के लिए या अपनी एक्टिंग का स्तर बढ़ाने के लिए लगातार नई-नई चीज़ें सीखते रहते हैं, नए-नए प्रयोग करते रहते हैं। चैलेंजिंग कैरेक्टर चुनते हैं, और उनके लिए जी जान एक कर देते हैं। हर एक्टर के भीतर सीखने का जज़्बा हमेशा बरकरार रहना चाहिए, तभी वो लोगों के दिल में अपनी जगह बनाए रख सकता है। चमक खो जाती है, तो सितारे भी खो जाते हैं। सीखना जो है, वो एक्टर को तराशता है, उसमें नयापन भरता है। लोगों को इन एक्टर्स की केवल शारीरिक मेहनत ही दिखती है, लेकिन बाक़ी लर्निंग पर नज़र नहीं जाती। हाल ही आलिया भट्ट ने 'उड़ता पंजाब' मूवी के लिए दो महीने तक सिर्फ़ बिहारी भाषा का लहजा पकड़ने के लिए जबरस्त मेहनत की। क्योंकि मेहनत कभी छिप नहीं सकती। आलिया जानती है कि सिर्फ़ महेश भट्ट की बेटी होने से ही कुछ नहीं होता, मेहनत नहीं की तो ऑडियन्स बख़्शते नहीं हैं। 'तनु वेड्स मनु रिटर्न्स' में कंगना की मेहनत दिखती है। मेहनत ने ही उस कंगना को नई ऊँचाईयाँ दी हैं, जिसकी एक्टिंग का लोग मज़ाक उड़ाया करते थे। जब भी आप मेहनत करते हैं, आपको ख़ुद को अच्छा लगता है। लोगों की प्रशंसा मिलती है। अवार्ड मिलते हैं। लक काम न करे तो भी मेहनत ज़रूर काम करती है। इसीलिए मेहनत से जो उन्हें हासिल होता है, उसे लक या भाग्य कहना उन्हें अच्छा भी नहीं लगता। भाग्य पर तो ज़ोर नहीं चलता, लेकिन मेहनत तो हमारे ही हाथ में है। फ़िल्मों में एक्टर्स को कोई भी गेटअप या मेकअप तभी काम कर पाता है, जब एक्टर उसके अनुरूप मेहनत करके ख़ुद को साबित करता है। 'फ़ैन' में शाहरुख़ खान ने गौरव के किरदार के लिए जो गेटअप अपनाया, उसके अनुरूप ढलने के लिए ख़ूब मेहनत भी की है, जो झलकती है। आज के दौर के सभी अभिनेता आमिर ख़ान, अक्षय कुमार, रितिक रौशन, प्रियंका चोपड़ा, नवाज़ुद्दीन सिद्दीक़ी आदि अपने किरदारों पर ख़ूब मेहनत करते हैं, तभी प्रभावशाली अभिनय कर पाते हैंं। ये तमाम अभिनेता अपनी प्रतिभा का अधिकतम उपयोग करना जानते हैं। कई लोग प्रतिभावान होते हैं, लेकिन मेहनती नहीं होते, इसलिए उनकी प्रतिभा दबी-कुचली या छिपी रह जाती है। वक़्त गुज़रने पर उनके पास 'काश....' के अलावा कुछ नहीं बचता। वक़्त पर दिल की नहीं सुनने का मलाल, ज़िंदगीभर रहता है। मैं ऐसे कई लोगों से भी मिल चुका हूँ, जो सीखने की बात का मज़ाक उड़ाते हैं। एक्टिंग स्किल्स सीखने की बात उन्हें बेमतलब की लगती है। अगर किसी को कोरियोग्राफ़र बनना है तो वो ज़रूर पहले डांस सीखता है। किसी को सिनेमेटोग्राफ़र बनना है तो पहले सीखता है। किसी को डायरेक्टर बनना है तो पहले डायरेक्शन सीखता है। किसी को एडिटर बनना है तो पहले एडिटिंग सीखता है। किसी को मेकअपमैन बनना है तो पहले सीखता है। यही चीज़ें डाक्टर, इंजीनियर, पायलट, हेयर ड्रेसर आदि तमाम प्रोफ़ेशन्स के लिए लागू होती है। लेकिन एक्टर बनने के लिए कई लोग सीखने को बकवास मानते हैं। उन्हें ये गुमान रहता है कि "एक्टिंग करने में क्या है मुश्किल है, डायलॉग दे दो, अभी करके दिखाते हैं।" कई लोग इस ग़लतफ़हमी के शिकार हैं। यही वजह है कि ऐसे लोग बरसों तक उसी जगह अटके पड़े रहते हैं, जहां थे। जो ज़माने को समझकर चलता है, वो हमेशा आगे बढ़ता है। जो वक़्त की ज़रूरत समझता है, वो हमेशा आगे बढ़ता है। जो ख़ुद से ही अपना कॉम्पीटीशन मान के चलता है, वो हमेशा आगे बढ़ता है। -#रूद्र_श्रीवास्तव
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अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और आज का समाज

12 अप्रैल 2017
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मानवीय गरिमा को सुनिश्चित करने के लिए #अभिव्यक्ति_की_स्वतंत्रता को ज़रूरी माना गया हैं. नागरिकों के नैसर्गिक अधिकारों के रूप में उनकी व्यक्तिगत स्वतंत्रताओं को संरक्षित करना, ताकि मानव के व्यक्तित्व के सम्पूर्ण विकास हो सके और उनके हितों की रक्षा हो सके, इसके लिए भारत सहित विश्व के

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क्या यही है स्वर्णिम भारत ???

13 अप्रैल 2017
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ब्राह्मण विरोधी राजनीति जिसकी जड़ 19वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में ज्योतिबा फुले के सत्यशोधक समाज के रूप में रखा गया था, और जिसका राजनीतिक स्वरूप 20वीं शताब्दी के प्रारंभ में जस्टिस पार्टी के द्वारा रखा गया था, वह आंदोलन अपने उतरार्द्ध

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अभिनय

14 अप्रैल 2017
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भाग्य भले साथ न दे, मेहनत हमेशा साथ देती है सीखना जिसने रोक दिया, समझो वो वहीं रुक गया। यहाँ तक कि जो एक्टर स्थापित हैं, वे भी ख़ुद को उस मकाम पर बनाए रखने के लिए या अपनी एक्टिंग का स्तर बढ़ाने के लिए लगातार नई-नई चीज़ें सीखते रहते हैं, नए-नए प्रयोग करते रहते हैं। चैलेंजिंग कैरेक्टर चुनत

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तन्हाई

29 अप्रैल 2017
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तू भी चुप है मैं भी चुप हूँ ये कैसी तन्हाई हैतेरे साथ तेरी याद आई; क्या तू सचमुच आई हैशायद वो दिन पहला दिन था पलकें बोझिल होने कामुझको देखते ही जब उनकी अंगड़ाई शरमाई हैउस दिन पहली बार हुआ था मुझ को इस बात का एहसासजब उसके मज़बून की ख़ुश्बू घर पहुँचाने आई हैहमको और तो कुछ

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दिल की भड़ास

4 मई 2017
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आज इतने कम समय में दूसरी बार मन किया कि सामाजिक माध्यम अर्थात सोशल मीडिया के महान लेखकों से उनके लेखों के बारे में आज पूछ ही लूँ । ये जितने भी महान #लेखक_लेखिकाएं जिन्हे सिर्फ इस #फेसबुक पर ही समाज के आर्थिक रूप से निचले तबके की इतनी ज्यादा चिंता सताती है कि वे लोगो के ल

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भारतीय सिनेमा पर वैश्वीकरण का प्रभाव

16 मई 2017
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वर्तमान में भूमंडलीकरण का प्रभाव यत्र-तत्र सर्वत्र देखने को मिल रहा है। देश, समाज, परिवार कोई भी क्षेत्र हो, कोई भी पक्ष हो हर जगह हमें भूमंडलीकरण का प्रभाव देखने को मिल रहा है। समाज का कोई भी क्षेत्र इससे अप्रभावित नहीं है। एक विश्व अथवा विश्व परिवार के सपने को संजोये नि

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आधुनिक भारतीय नारी

23 अक्टूबर 2019
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आधी ढंकी ने आधी उघाड़ी।इसी को कहते आधुनिक नारी।।संस्कारों को अपने भूलती जाती।दारू पी के झूमती गाती।।आत्मसम्मान को ताक़ पर रखकर,आगे बढ़ती है नीचा दिखाकर।महफूज़ समझते बच्चे खुद को;पाकर माँ का आँचल।मगर अब क्या होगा बच्चों का;जब माँ को ही बंधन लगता अपना आँचल।।खुद को समझती सब पर भारी।फिर स्वार्थवश बनती खुद ह

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निर्भया

30 मार्च 2020
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देखो देखो नग्न अवस्था हवस से इसका श्रृंगार करो,आओ, आओ खुली छूट है जो चाहो वो करो, नोच लो, काट लो अपनी प्यास बुझा लो तुम,कितना नशा दिखता है देखो इनकी आंखों में ,जैसे खुद मेनका का अवतार है धरती पर ,इन्हें अपने बाप की जागीर समझ लो और अपनी हवस हवस की प्यास मिटा लो तुम,चिथड़े चिथड़े कर देना हर जिस्म हर एक

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महिला दिवस

30 मार्च 2020
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अब क्या करें देश का माहौल ही इतना अजीब हैनिर्भया के दोषियों को फाँसी दें नहीं पर रहे है फिर भी आज महिला दिवस मनाएंगेकल होलिका दहन करेंगेऔरहोली के नाम पर लड़कीयों से छेड़छाड़ करेंगे यही तो सालों से होता आ रहा है और आगे भी यही होता रहेगा। इस देश में सार्वजनिक स्थान पर थूकना, मूतना या अन्य प्रकार की क्षति

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कोरोना

1 अप्रैल 2020
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कोरोना तु करुणा है।ईश्वर की अद्भुत रचना है।। दुनिया के लिए हत्यारा है।काल को बहुत ही प्यारा हैसंहार तेरी प्रकृति है।चीन की तु दुष्कृति है।। किया जब जीवों पर अत्याचार।मच गई है दुनिया में हाहाकार।। खुश हुआ जीवों को ग्रास बना।। वही तेरा अब त्रास बनानदियों पेड़ों का संहार किया।प्रलय के मुहाने पर किया।। म

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कोरोना

1 अप्रैल 2020
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कोरोना तु करुणा है। ईश्वर की अद्भुत रचना है।। दुनिया के लिए हत्यारा है। काल को बहुत ही प्यारा है।। संहार तेरी प्रकृति है। चीन की तु दुष्कृति है।। किया जब जीवों पर अत्याचार। मच गई है दुनिया में हाहाकार।। खुश हुआ जीवों को ग्रास बना। वही तेरा अब त्रास बना।। नदियों पेड़ों का संहार किया। प्रलय के मुहाने प

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