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आदमी

26 दिसम्बर 2021

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रफ स्नेहभरी लालसा है,
आदमी वक्त नहीं पालता है,
जिंदगी की भाग दौड़ में,
उल्फतों से भरी बेरंग दास्तां है।
दिलों में रंज ए गम भाव ईर्ष्या है,
कहां आज सत्य और तपस्या है,
बस कुछ देर का नवाजी जहां  है,
बांकी सब राग जिंदगी मिथ्या है।
रिश्ते मनुष्य के दिल का भाव होते हैं,
मगर आज दिमाग से समावेसी होते हैं।

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